फारुख हुसैन के कलम से — हम तो टूट गए है एक आशियाँ बनाने में
पांच साल पहले कुवरपुरकला नदी मे समा गया झोपडी तक नही बना पाये घर से बेघर हो गये लेकिन आज तक आस लगाये बैठे है कि सरकार व विधायक भी बन गया है अब सरकार चाहे हम गाव का भला हो सकता है लेकिन फिर भी कम उम्मीद कर रहे है बताया जा रहा कि दुबहा गांव कटने के जो सरकार बनी तो आज दुबहा तक पहुचा ही नही क्योकि आने जाने के लिये रास्ता नही था गांव के दोनो तरफ नदी बीच टापू मे रह गया दुबहा गांव कटान होने से कहा जाते गाव लोग आपनी झोपडी तिरपाल आदि दूसरो के खेतो मे बसे है लेकिन आज तक बसाने के लिये किसी ने नही कही लेकिन गाव के वसिदो के पास गुजर करने के लिये कोई भूमिधर जमीन नही है ग्रामीणो के लिये कुध जमीन कुवरपुरकला की राजस्व गांव खैरा मे जिसपे भूमि माफियाओ का कब्जा है लेकिन गांव के लोगो के पास कुछ नही केवल कटोरा है । प्रशासन लगाकर मुख्यमन्त्री तक गये लेकिन आज तक कुध नही हुआ अब भाजपा सरकार से आस लगाये बैठे है ।