जरूर जानिये कौन था, पर्दे के पीछे का वो चेहरा जिसने अमित शाह के साथ मिलकर लिखी भाजपा के प्रचंड बहुमत की दास्तां!

करिश्मा अग्रवाल (विशेष संवाददाता)
“कौन था कामयाबी की कहानी के पीछे खड़ा वो अहम शख्स ,जिसने ख़ामोशी से प्रचंड बहुमत के रूप में फहरते ‘भगवा ध्वज’ की नींव को मजबूती से बनाने में अहम भूमिका निभाई….!क्या वो किरदार कम अहम था!नहीँ”

विधानसभा चुनावों से पहले कितनी ही अटकलें लगाई जा रही थी और कहा जा रहा था की किसी भी एक पार्टी की सरकार बनना मुश्किल है ।गठबंधन से लेकर गठजोड़ तक सब कुछ हुआ पर आख़िर में जब नतीजा आया तो वह चौकाने वाला था ‘नमो की लहर’ और ‘भाजपा का कहर’ विरोधी पार्टियों पर जमकर टूटा और ‘केसरिया तूफान’ में विरोधी पार्टियों के बड़े-बड़े रसूख वाले भी अपनी साख बचा ना सके और प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा ने इन विधानसभा परिणामों में अपना ‘केसरिया ध्वज’ फहरा दिया ।इस जीत का श्रेय नमो से लेकर अमित शाह और राजनाथ से लेकर कई लोगों को दिया गया। लेकिन एक चेहरा ऐसा भी था, जो इस जीत की दास्तां लिखने में सबसे खास होते हुए भी चर्चा में कम ही आया।वो चेहरा था- सुनील बंसल। आइए जानते हैं की,भाजपा के जीत की दास्तां लिखने में कैसे अहम किरदार निभाया सुनील बंसल ने:
राजस्थान की माटी का लाल ,यूपी में बना खेवनहार:
राजस्थान से सुनील बंसल को यूपी में लाकर अमित शाह ने जो भरोसा दिखाया बंसल उस पर पूरी तरह खरे उतरे। पूरे यूपी में जिताऊ कैंडिडेट की खोज की बात रही हो या पूरे चुनाव का प्रबंधन, सुनील बंसल ने पुरे चुनाव में एक-एक सीट की जिम्मेदारी महसुस की, और जहां भी प्रत्याशी को पिछड़ते देखा तो फ़ौरन फोन से चेता कर कहते कि , पिछड़ रहे हो, तुम्हारी कैंपेन में और ताकत चाहिए। सब झोंक दो।
अमित शाह के साथ कदम दर कदम:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव के चलते ही शायद पिछले आम चुनाव के पहले राजस्थान के ही वरिष्ठ नेता ओम माथुर के साथ-साथ सुनील बंसल को यूपी का जिम्मा दिया गया था।अमित शाह के राज्य प्रभारी बनने के दिनों जिन लोगों को उन्होंने प्रदेश में बूथ-मैनेजमेंट का जिम्मा सौंपा, उनमें सुनील बंसल प्रमुख थे। अमित शाह कुछ महीने लखनऊ में जब राणा प्रताप मार्ग की एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में रहे तो सुनील बंसल पड़ोसी थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा की जीत में भारतीय जनता पार्टी की रणनीति की पृष्ठभूमि बुनने में सुनील बंसल की छाप हर जगह दिखी। राजस्थान निवासी सुनील बंसल छात्र दिनों से हीअखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में भी सक्रिय रहे।
सदस्य से सांसद तक सब पर नज़र:
एक सहयोगी अनुसार 2017 की तैयारी में उन्होंने वही किया, जो 2014 के पहले अमित शाह के कहने पर किया था।यानि प्रत्याशियों के बारे में सर्वे से लेकर किस क्षेत्र में जातीय समीकरण कैसे बैठाने पड़ सकते हैं।अमित शाह के समर्थन से बंसल ने बूथ स्तर से लेकर प्रदेश संगठन में ओबीसी और दलित समुदायों में से कम से कम एक हजार नए कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया। इस पूरी प्रक्रिया में सुनील बंसल ने भाजपा कार्यालय में ‘वॉर-रूम’ का चलन भी कायम रखा, जिसे उन लोगों ने 2014 के आम चुनावों में सफलतापूर्वक चलाया था। हर बूथ, हर विधानसभा क्षेत्र से रोजाना फीडबैक लिया जाता रहा। इस आईटी सेल में 2017 में एक कॉल-सेंटर तक की स्थापना कर दी गई। इस अभियान के पहले सुनील बंसल ने अमित शाह और केंद्रीय नेतृत्व की रजामंदी से प्रदेश में भाजपा की सदस्यता बढ़ाने का जिम्मा संभाला था और चुनाव के पहले तक ये आंकड़ा दो करोड़ तक पहुंचता बताया गया।
ढूंढे और खड़े किये भरोसेमंद जांबाज:
लखनऊ भाजपा कार्यालय के एक पदाधिकारी की माने तो, सुनील बंसल इस दौरान हम लोगों से यही दोहराते रहे कि जिताऊ कैंडिडेट ढूंढने हैं। नेतृत्व का भरोसा भी उन पर बना रहा। पार्टी इनके पीछे खड़ी रही और सुनील बंसल अपने नियुक्त किए गए लोगों के पीछे।
अमित शाह का रहा साथ:
अमित शाह ने भी सुनील बंसल का भरपूर साथ दिया और समर्थन भी।सुनील बंसल ने एक तरफ प्रदेश की ‘विभाजित’ भाजपा के संगठन की मुश्किल मुहिम शुरू की और दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के बूथ प्रभारियों का चयन भी किया।
ज़मीन से जुड़ाव: सुख – दुःख में साथी:
सुनील बंसल के बारे में कहा जाता है कि अपने संपर्क में रहने वाले हर कार्यकर्ता की सुध लेते हैं और मुसीबत के समय में साथ खड़े रहते हैं।
आलू चाट और ‘तारक मेहता…’ का साथ:
आलू की चाट और नमकीन के शौकीन सुनील बंसल, रात साढ़े आठ बजे टीवी पर ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ देखना नहीँ भूलते। अगर मिस हो जाए तो ये उसे रात 11 बजे हर हाल में देखते हैं। मतदान हो रहा हो या अमित शाह दौरे पर आए हों, ये लखनऊ के मशहूर शर्मा स्टॉल से समोसा और इलाइची वाली चाय का ‘जुगाड़’ करवाना नहीं भूलते हैं। काम होता है तो सुबह टी-शर्ट और ट्रैक पैंट में ही भाजपा कार्यालय पहुंच जाना और फुर्सत में शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म को मल्टीप्लेक्स में ही देखना इनकी आदतों में शुमार है।

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