सरसों की खेती के पहले खेत की मिटटी को भुरभुरा बना ले किसान – डॉ.रवि प्रकाश मौर्य

अनंत कुशवाहा // अम्बेडकरनगर 

नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज फैजाबाद द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र पातीं अम्बेडकर नगर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ.रवि प्रकाश मौर्य ने सरसों की खेती करने वाले किसान भाइयों को सलाह दिया कि खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने क ेबाद पटा लगाकर खेत को भुरभुरा बनाले। खेत में नमी कम हो तो पलेवा करके तैयार करना चाहिए ।,ट्रैक्टर चालित रोटावेटर द्वारा एक ही बार में भूमि अच्छी तैयार हो जाती है ।राई /सरसों की बुवाई का उचित समय अक्टूबर माह का प्रथम पखवाडा़ है, किसी भी दशा में 20 अक्टूबर तक सरसों की बुवाई कर लेनी चाहिए ।सिंचित क्षेत्रों के लिए नरेंद्र आगैती राई- 4 ,बसंती, रोहिणी, नरेंद्र स्वर्णा राई-8,एन.डी.आर.8501,असिंचित क्षेत्रों के लिए वैभव, वरुणा,प्रजातियां उपयुक्त है। विलंब से बुआई के लिए आशीर्वाद बरदान, लवणीय भूमि के लिए नरेंद्र राई, सी .एस .52,सी.एस.54 उपयुक्त है।चार से पांच किलोग्राम बीज प्रति है. की दर से प्रयोग करें ।बुआई लाइन से लाईन 45 सेमी.बीज से बीज की दूरी15 सेमी.पर 4-5 सेमी.गहरी कुडो़ मे करे। उर्बरक 120 किलोग्राम नाइट्रोजन,60 किग्रा. फास्फोरस एवं 60 किग्रा.पोटाश प्रति है. की दर से करे। फास्फोरस का प्रयोग सिंगल सुपर फास्फेट के रूप में अधिक लाभदायक होता है, बुआई के समय 132 किलोग्राम यूरिया, 375 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 102 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश डालें तथा 132 किलोग्राम यूरिया पहली सिंचाई बुआई के 25 से 30 दिन बाद टाप डे़सिग में डाली जाए।यदि फास्फोरस डाई अमोनियम फास्फेट के रूप में देते हैं तो 132 किलो ग्राम डाई अमोनियम फास्फेट ,101 किलोग्राम यूरिया ,तथा म्यूरेट आफ पोटाश 102 किलोग्राम बुआई के समय डाले। शेष 132 किलोग्राम यूरिया बुआई के25-30दिन बाद पहली सिचाई के बादडालें ।बुआई के15 से 20 दिन के अंदर घने पौधों को निकाल कर उनकी आपसी दूरी 15 सेंटीमीटर कर देना आवश्यक है ।खरपतवार नष्ट करने के लिए एक निराई गुड़ाई सिंचाई के पहले और दूसरी पहली सिचाई के बाद करनी चाहिए। नमी की कमी के प्रति फूल आने के समय तथा दाना भरने की अवस्था में विशेष संवेदनशील है अतः अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए सिंचाई करें। इसमें आरा मक्खी का प्रकोप तीन चार पत्तियां होने पर होता है इसकी की सुडियाँ काले स्लेटी रंग की होती हैं ,जो पत्तियों को किनारे से अथवा पत्तियों में छेद कर तेजी से खाती हैं । इसकी रोकथाम के लिए एक सूडी प्रति पौधा दिखाई देने पर मैलाथियान 5% धूल 25 किलोग्राम प्रति है की दर से भुरकाव करें अथवा डाई क्लोरो वास 76प्रतिशत इसी की 500 मिली लीटर मात्रा 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

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