रो रो के ये कहते हैं सज्जाद मेरे बाबा हम हो गए ग़ुरबत में बर्बाद मेरे बाबा
अज़हान आलम
घोसी (मऊ)। स्थानीय नगर बड़ागांव में सोमवार को रात्रि 8 बजे जुल्फेकार अहमद के मकान से अलम वो शबीहे ताबूत इमाम सज्जाद अ0स0 निकाला गया जिस में अंजुमन सज्जादिया ने नौहाख्वानी की
रो रो के ये कहते हैं सज्जाद मेरे बाबा
हम हो गए ग़ुरबत में बर्बाद मेरे बाबा
सज्जाद मदीने में निकलते थे जो बाहर
कस्साब ज़बीहों पे ओढ़ा देते थे चादर
सुन कर उपस्थित अजादारों की आँखे नम हो गयी। जलूस अपने क़दीमी रास्तो से होता हुआ राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित सदर इमाम बारगाह पर देर रात समाप्त हुआ। जलूस में तक़रीर करते हुए मौलाना नसीमुल हसन घोसवी ने कहा कि इमाम ज़ैनुल आब्दीन अ0स0 का जन्म 15 जमादिउल अव्वल 38 हिजरी को मदीने में हुआ। इमाम ज़ैनुल आब्दीन अ0स0 हज़रत इमाम अली अ0स0 के पोते और हज़रत इमाम हुसैन अ0स0 के पुत्र थे। इमाम को कर्बला का एक अज़ीम योद्धा कहा जाता है इसलिए के जब कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन अ0स0 अपने 72 साथियों के साथ शहीद हो गए तो इस ग़ुरबत भरे आलम में इमाम ने अपने परिवार की ज़िम्मेदारी ली और हर संभव प्रयास करके अहले हरम की रक्षा की। इमाम ने अपने बाबा की शहादत के मकसद को लोगो तक पहुचाया और बातिल के चेहरे को बेनकाब किया।यज़ीद ने इमाम हुसैन अ0स0 को क़त्ल करके ये समझ बैठा कि अब उस से मुकाबला करने वाला कोई नहीं है मगर इमाम ज़ैनुल आब्दीन ने क़ैद होते हुए यज़ीद को ऐसा पराजित किया जिससे मकसदे हुसैन पूरा हुआ और यज़ीद पूरी दुनियां में आज भी ज़लील वो रुस्वा है। हुसैनियत का परचम आज भी बुलंद है। इमाम ज़ैनुल आब्दीन अ0स0 को 25 मुहर्रम 95 हिजरी को वलीद बिन अब्दुल मालिक बिन मरवान ज़ालिम ने जहर दे कर शहीद कर दिया। उसी शहादत की याद में हर साल शिया समुदाय जलूस निकल कर मातम करते है जलूस में हाजी ग़ज़नफर अब्बास , साजिद हुसैन , शमीम हैदर , तफहीम हैदर , शाहिद हुसैन, इफ़्तेख़ार हुसैन, जुल्फेकार अहमद,मज़हर हुसैन, मालिके अश्तर, आले एबा,ग़ुलाम हैदर, आज़म हुसैन, जौहर अली, ताहिर हुसैन, अहमद औन,
ज़फर, आसिफ अली अदि उपस्थित रहे।