ये एक लाशें बेसर से आवाज़ आयी सकीना मेरी लाडली आ सकीना

सुशील कुमार अंचल

घोसी(मऊ)। स्थानीय नगर के बड़ागांव स्थित अज़ाखाने अब्बासी बीबी के सहन में कर्बला के शश्माहे मोजाहिद इमाम हुसैन अ. स. के सुपुत्र शहज़ादे अली असग़र की याद में एक शब्बेदारी की गई। शब्बेदारी की शरुआत हाजी ग़ज़नफर अब्बास,तफहीम हैदर और आसिफ अली की पेशख़्वानी से हुई। उस के बाद मौलाना सय्यद नज़र मोहम्मद ज़ैनबी ने तक़रीर की उन्हों ने शश्माहे अली असग़र की ज़िंदगी पे रोशनी डाली। तकरीर के बाद अंजुमनों की नौहाख्वानी का दौर शुरू हुआ। अंजुमन मसूमिया रजिस्टर्ड, अंजुमन हुसैनी मिशन, अंजुमन मसूमिया,अंजुमन तंज़ीमुल हुसैनी, अंजुमन मसूमिया क़दीम रजिस्टर्ड ने नौहाख्वांनी की मगरिब की नमाज़ से पहले कार्यक्रम को नमाज़ के लिए स्थगित किया गया।पुनः 6:30 बजे कार्यक्रम शुरू हुआ।
इस अवसर पे मौलाना मोबसशिर रज़ा मुख्तारी ने तक़रीर की। तक़रीर के फौरन बाद अंजुमनों की नौहाख्वांनी का दोसरा दौर शरू हुआ जिस में दस्ता मसूमिया, अंजुमन सज्जादिया, अंजुमन असीराने कर्बला, नौहाख्वां अब्बास हल्लोरी, अंजुमन कज़मीया जलालपुर, अंजुमन ज़ीन्तुल अज़ा बाराबंकी, अंजुमन अब्बासिया फैज़ाबाद ने दिलसोज़ नौहा पेश किया
एक बयाबान अंधेरे से सदा आती है
मैं हूं ज़िंदान में अम्मू मैं हूं ज़िंदान में अम्मू
और अंजुमन पंजतनी जाफराबाद जलालपुर ने दर्द भरे नौहे पढ़े
1-माँ का अजब ये हाल हुआ
असग़र तेरे मरने से
दिल बहनों का टूट गया
असग़र तेरे मरने से
2- ये एक लाशें बेसर से आवाज़ आयी
सकीना मेरी लाडली आ सकीना
जिससे माहौल ग़मगीन हो गया।
वहां उपस्थित अज़ादारो ने अली असग़र अ. स. की मां को आंसुओ का पुरसा दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से मौलाना शफ़क़त तक़ी, मोहम्मद शरीफ,असग़र अली, शमशुल हसन, डॉ तनवीर कौसर, नूर मोहम्मद, मेहदी अब्बास,अली रज़ा, नीसुल हसन,मो अब्बास शम्शी, मुंतज़िर अब्बास, असग़र, फ़ैज़ी,मो हाशिम, नाज़िम, रिज़वान, तनवीर अब्बास, तफहीम हैदर,एवं बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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