क़ुद्स के संबंध में ईरान ने पेश किए 7 सुझाव
ईरानी राष्ट्रपति डॉक्टर हसन रूहानी ने क़ुद्स के संबंध में अमरीका के ग़ैर क़ानूनी फ़ैसले से निपटने के लिए इस्लामी जगत को 7 सुझाव पेश करते हुए कहा कि अमरीका सिर्फ़ ज़ायोनियों के ज़्यादा से ज़्यादा हित के लिए काम कर रहा और वह फ़िलिस्तीनियों की वैध मांगों का कोई सम्मान नहीं करता। उन्होंने इस्तांबोल में इस्लामी सहयोग संगठन ओआईसी के आपात शिखर सम्मेलन में क़ुद्स को ज़ायोनी शासन की राजधानी के तौर पर एलान करने की अमरीका की कार्यवाही की भर्त्सना को अपने पहले सुझाव के तौर पर पेश किया। राष्ट्रपति रूहानी ने ज़ायोनी शासन से मुक़ाबले के लिए इस्लामी जगत में एकता की ज़रूरत को दूसरे सुझाव के तौर पर पेश किया।
उन्होंने अपने तीसरे सुझाव में कहा कि अमरीकी सरकार को चाहिए कि वह इस सच्चाई को समझ ले कि फ़िलिस्तीन और क़ुद्स के भविष्य के संबंध में इस्लामी जगत उदासीन नहीं है और फ़िलिस्तीन के विषय पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की लगभग सर्वसम्मति और अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तावों की अनदेखी की राजनैतिक क़ीमत चुकानी पड़ेगी। ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि चौथा सुझाव यह है कि इस्लामी देश अमरीका की हालिया कार्यवाही के विरोध में अपने सैद्धांतिक दृष्टिकोण को एक आवाज़ में अमरीकी घटकों और ख़ास तौर पर योरोपीय देशों को बताएं।
डॉक्टर रूहानी ने फ़िलिस्तीन को इस्लामी जगत के मुख्य मुद्दे के रूप में अहमियत देने को अपने पांचवे सुझाव के रूप में पेश किया और कहा कि इराक़ और सीरिया में दाइश की हार के अन्य आतंकवादी गुटों के ख़िलाफ़ कार्यवाही जारी रखने के बावजूद ज़ायोनी शासन के ख़तरे की ओर से जो उसके परमणु हथियारों से दुनिया को है, ग़ाफ़िल नहीं रहना चाहिए।
ईरानी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इस्लामी देशों के प्रतिनिधित्व की भागीदारी और ज़ायोनी शासन की गतिविधियों पर निरंतर निगरानी को अपने पांचवें और छठे सुझाव के तौर पर पेश करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ और ख़ास तौर पर सुरक्षा परिषद और महासभा को इस समय अमरीका के हालिया फ़ैसले के विरोध में निर्णायक रोल अदा करना चाहिए। डॉक्टर रूहानी ने क़ुद्स की रक्षा के लिए इस्लामी देशों के साथ बिना किसी शर्त के ईरान की ओर से सहयोग का उल्लेख करते हुए बल दिया कि मुसलमानों और अरबों के सबसे बड़े दुश्मन यहूदी नहीं बल्कि ज़ायोनीवाद की साज़िश है।