बिहार सरकार को झटकाः सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी बालू नीति को ही उचित बताया
गोपाल जी,
सुप्रीम कोर्ट ने बालू, गिट्टी और मिट्टी के खनन, बिक्री और परिवहन के मसले पर बिहार सरकार को तगड़ा झटका दिया है. शीर्ष अदालत ने इस बारे में पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट में बिहार सरकार से इन प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को लेकर पुराने नियम को ही अपनाने को कहा था.
दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के बालू, गिट्टी और मिट्टी के खनन, बिक्री और परिवहन के लिए बनाए गए नए नियम पर फिलहाल रोक लगा दी थी. बिहार में कथित अवैध बालू खनन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने इस साल नए नियम बनाए और इसे 10 अक्टूबर 2017 को बिहार गजट में प्रकाशित किया गया था. 14 नवंबर को बालू-गिट्टी का रेट जारी किया गया.
नए नियम का खनन कंपनियां और ट्रांसपोर्टर विरोध कर रहे हैं. इससे राज्य में बालू संकट बना हुआ है और इसी बात को लेकर हाईकोर्ट में इस नियम को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने याचिकर्ताओं के पक्ष में फैसला दिया तो राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए राज्य सरकार को झटका दिया है. उधर, नई बालू नीति का विरोध जारी है. इस नीति में ट्रकों- ट्रैक्टरों में जीपीएस लगाने को कहा गया है. इसके खिलाफ मनेर में ट्रक मालिकों, चालकों और मजदूरों का आंदोलन जारी है.
ट्रक मालिकों ने चालकों और मजदूरों के साथ मिलकर शुक्रवार को मनेर में आगजनी कर एनएच 30 को जाम किया और जमकर सरकार विरोधी नारे लगाए. ट्रक मालिक ललन यादव का कहना है कि सरकार की बालू नीति से ट्रक चलाना मुश्किल हो गया है. हर कोई सरकार की इस नीति से त्रस्त है.
ट्रक मालिकों का कहना है कि यदि सरकार अपनी ये नीति वापस नहीं लेती तो आगामी 18 दिसंबर को ट्रक ऑनर पूरे बिहार में चक्का जाम करेंगे. वहीं उन्होंने ट्रक और ट्रैक्टरों में जीपीएस लगाए जाने का भी विरोध किया और कहा कि इससे ट्रक मालिकों को सिर्फ नुकसान होगा. क्योंकि ट्रक का किस्त तो भर नहीं पा रहे हैं और अब जीपीएस का खर्चा ऊपर से भरना होगा.