काशी बना कुरूक्षेत्र
शबाब ख़ान
वाराणसी: विधानसभा के चुनावी चक्रव्यूह में सातवें व अंतिम चरण से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर जुड़ी है। खुद को यूूपी का गोद लिया बेटा कहने वाले प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी पूरी भाजपा के लिए जहॉ नाक का सवाल है, वहीं विपक्ष भी अखिरी चक्र जीतने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाए है। 40 सीटों के इस मुकाबले में जहॉ बाहुबली भी है, वहीं बागियों ने भी राजनीतिक दलों को बेचैन कर रखा है।
आखिरी चरण में सीटों भले ही कम हों, लेकिन सबसे बड़ी जोर-आजमाईश यही देखने को मिल रही है। चुनावी समर में फतेह के लिए अमूमन सभी दलो नें गठजोड करने से गुरेज नही किया है। सपा-कांग्रेस गठबधंन के अलावा भाजपा ने भी अपना दल (एस) व भारतीय समाज पार्टी जैसे स्थानीय दलों को साथ में लिया है। वही बसपा को भी कौमी एकता दल का विलय कर लेने की जरूरत महसूस हुई।
इस चरण में अखिलेश सरकार के मंत्री पारसनाथ यादव, कैलाश चौरसिया, शैलेद्र यादव और सुरेंद्र पटेल के अलावा पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह के कामकाज पर जनता अपनी रिपोर्ट देगी। समाजवादी कुनबे की लड़ाई का असर भी क्षेत्र में दिखता है। समाजवादी पार्टी में एक बार विलय कर लेने के बाद अलग हुए कौमी एकता दल ने जीत के लिए बसपा में शामिल होना मुफीद समझा। बसपा के हाथी पर सवार बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के भाई शिगबातुल्ला अंसारी भी इसी चरण में मोहम्मदाबाद सीट से विधानसभा में वापसी की कोशिश में जुटे हैं।
काशी बना कुरूक्षेत्र:
चक्रव्यूह के इस आखिरी द्वार को तोड़ने के लिए खुद प्रधानमंत्री भी काशी में डेरा डाले हुए हैं। उधर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी विरोध मे लामबंदी धार देने मे जुटे हुए हैं। गठबधंन को बनारस में बड़े उलट फेर की आस है। यूँ भी वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से सपा को जबरदस्त जनसमर्थन मिला था। यहॉ 40 में सें 23 सीटों पर जीत हासिल करके समाजवादी पार्टी ने विरोधियो को काफी पीछे दिया था। वर्ष 2007 में बेहतर प्रदर्शन करने वाली बसपा ने पॉच, भाजपा नें चार व कांग्रेस ने मात्र तीन सीटों हासिल की थी। कौमी एकता दल व अपना दल को एक-एक सीट से संतोष करना पड़ा था। इसके अलावा तीन सीट निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती थी। भाजपा के खाते में जो चार सीटें आयी थीं उनमें तीन वाराणसी व एक जौनपुर से मिली थी। भाजपा मोदी लहर के अलावा दो स्थानीय पार्टियों अपना दल व भारतीय समाज पार्टी को साथ लेकर विपक्ष की घेराबंदी तोड़ देना चाहती है।
संघ की नजर, दिग्गजों का डेरा
काशी में भगवा परचम लहराने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक दल भी सक्रिय है। भाजपा मे पनपते असंतोष को शांत कराने का जिम्मा संघ ही संभाले है। भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह, प्रभारी ओमप्रकाश माथुर व सुनील बंसल के अलावा केंद्रीय मंत्रियों की फौज वाराणसी में कैंप किए है। वाराणसी के नतीजे सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ही जोड़े जाएगें इसलिए पार्टी कोई कोर-कसर छोड़ना नही चाहती है।
गठबधंन की साख़ दांव पर
अंतिम चरण में भाजपा, अपना दल और भारतीय समाज पार्टी गठबधंन की परीक्षा है वहीं सपा व कांग्रेस गठजोड की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। इन गठबधंनो से जहां एक ओर चुनावी समीकरण मजबूत होने की आस है, वहीं कइयों के टिकट कटने से असंतोष भी प्रमुख दलों में गहराया है। भाजपा में बुजुर्ग विधायक श्यामदेवराय चौधरी के अलावा कुछ अन्य नेताओं के गुस्से का लाभ विपक्ष लेने की कोशिशों में जुटा है। सपा को कुनबे की कलह से खतरा है, तो बसपा में टिकटो की अदला-बदली भी मुश्किले बढाती दुख रही है। अपना दल जैसी स्थानीय पार्टी को भी गुटबाजी का घुन लगा है। मॉ और बेटी में बटे अपना दल के गुटों की ताकत आंकी जाएगी। भदोही, बदलापुर व घोरावल आदि क्षेत्रों में बागी अपने-अपने दलों की बेचैनी बढ़ी रहे हैं। दिग्गजों में कांग्रेस विधायक अजय राय फिर मैदान मे हैं। वहीं पूर्व सांसद राजेश मिश्रा इस बार विधायक बनने की दौड़ में हैं। मंत्री पारसनाथ यादव को जिताने के लिए खुद सपा संरक्षक मुलायम सिंह को भी प्रचार में उतरना पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कमलापति त्रिपाठी की सियासी परंपरा बनांए रखनें के लिए ललितेशपति त्रिपाठी मीरजापुर के मड़िहान क्षेत्र से मैदान में है।
बाहुबलियों का दंगल
अंतिम चरण में बाहुबलियों की जोर-आजमाईश भी होगी। सैयदराजा सीट से निर्दलीय जीते बाहुबली विधायक सुशील सिंह इस बार सकलडीहा क्षेत्र से भाजपा टिकट पर लड़ रहे हैं। जेल में बंद बाहुबली बृजेश सिंह के भतीजे सुशील का मुकाबला श्याम नारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह से है। पूर्वाचल के एक और बाहुबली मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह जौनपुर जिसे के मड़ियाहूं सीट से चुनाव लड़ रहीं हैं। 2012 में अपना दल के टिकट पर चुनाव हार चुकी सीमा इस बार अपना दल (कृष्णा पटेल गुट) की उम्मीदवार हैं। बसपा से टिकट नही पा सके पूर्व सांसद धनंजय सिंह जौनपुर जिले में मल्हनी सीट पर निषाद पार्टी से उम्मीदवार बनकर मंत्री पारसनाथ को चुनौती दे रहे है। बाहुबली विजय मिश्र ज्ञानपुर से और धनंजय सिंह मल्हनी सीट से चुनावी मैदान मे हैं। इसके अलावा पूर्व सांसद उमाकांत यादव अपने पुत्र दिनेश कांत को शाहगंज से सीट पर राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर विधायक बनाने के लिए पसीना बहा रहे हैं।