कोर्ट के आदेश के बाद भी 15 वर्षो से नही हो पा रही रकबा की पैमाईश

मुख्य तहसील सम्पूर्ण समाधान दिवस पर जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान

उमेश गुप्ता.
बिल्थरा रोड हर पीड़ित न्याय पाने के लिए सक्षम न्यायालय में मुकदमा दायर कर न्याय की गुहार लगाता है। लेकिन ऐसा न्यायालय जो अपने आदेश को बीते 15 वर्ष से अनुपालन कराने में सक्षम सावित न हो पावे ऐसे न्यायालय के आदेश जारी होने का क्या मतलब रह जाता। यह प्रकाण कहीं दूर का नही बल्कि न्यायालय उपजिलाधिकारी बिल्थरारोड का है। परेशान मुकदमा वादी गीता देवी पत्नी स्व. बीरेन्द्र कुमार सा. मौजा सीयर में पैमाईश कराने के आदेश का अनुपालन कराने के लिए अधिवक्ता देवेन्द्र कुमार गुप्त ने मंगलवार को मुख्य तहसील सम्पूर्ण समाधान दिवस पर जिलाधिकारी के समक्ष प्रत्यावेदन पेश कर न्याय की गुहार लगायी है।

अधिवक्ता देवेन्द्र कुमार गुप्त की माने तो वर्ष 2003 में 21 मार्च को मौजा सीयर के आराजी नम्बर 74 की पैमाईश मु.नं. 93/2003 धारा 29/41 एलआर एक्ट में पैमाईश कराकर आख्या तलब करने का आदेश पारित किया गया था। जिसमें चौहद्दी के अनुसार सम्बन्धित काश्तकारों को तिथि निर्धारित कर नोटिस देने की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गयी है। लेकिन आरोप है कि सुविधा शुल्क के अभाव में 15 वर्ष बाद भी पैमाईश का कार्य अधूरा रह गया है। अधिवक्ता की आरजू सुनने के बाद जिलाधिकारी सुरेन्द्र विक्रम ने मामले को संज्ञान में लेकर उक्त आवेदन अपने पास विचारणार्थ रख लिये अब देखना है जिलाधिकारी के संज्ञान में जाने के बाद अब कब तक पैमाईश कराने का न्याय मिलता है।

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