पुलवामा हमले में आतंकियों ने चलाईं बुलेटप्रूफ जैकेट भेदने वाली गोलियां
साभार – तुषार शर्मा.
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिला स्थित लेथपोरा गांव में रविवार को पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के तीन फिदायीन आतंकियों ने सीआरपीएफ कैंप्स पर हमला किया था। आतंकियों ने इस दौरान न केवल क्लाशनिकोव राइफल (एके-47) से हमला किया और ग्रेनेड्स बरसाए, बल्कि उन्होंने ऐसी गोलियां चलाई थीं जो बुलेटप्रूफ जैकेट को भी भेद गईं। भारत में आतंकियों ने अब तक इस तरह की गोलियों का पहली बार इस्तेमाल किया है। यह बात तब सामने आई, जब सीआरपीएफ के एक जवान ने बुलेटप्रूफ जैकेट पहने होने के दौरान भी गोली लगने की बात कही है।
सीआरपीएफ इंस्पेक्टर जनरल रविदीप साही ने इस बारे में एक चैनल से बातचीत की। उन्होंने कहा, “गोली ने बुलेटप्रूफ जैकेट को भेद दिया था, जिसके बाद वह उनके जा लगी थी। सीआरपीएफ जवान ने हमलावर को मार गिराया, मगर हमने भी एक जवान खो दिया।” भारी धातु के बंकर को भेदती हुई गोलियां जब निकली थीं, तब सीआरपीएफ का जवान चौंक उठा था। यह गोलियां आमतौर पर एनकाउंटर के दौरान इस्तेमाल की जाती हैं। ये गोलियां आगे से हल्के नुकीले आकार की होती है। तेज एनर्जी से चलाए जाने के बाद ये टारगेट को भेदते हुए या चीरते हुए निकल जाती हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, घटनास्थल पर ऐसी ही एक गोली एसिस्टेंट कमांडेंट की बुलेटप्रूफ जिप्सी को भी भेदते हुए एक सीआरपीएफ जवान को जा लगी थी। सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल आरआर भटनागर ने इस बारे में कहा, “हां, हमारा असिस्टेंट कमिश्नर उस वक्त जिप्सी में था, जब आतंकियों ने हमला बोला था।”
हालांकि, उन्होंने आतंकियों के पास इन गोलियों के होने को नजरअंदाज नहीं किया है। लेकिन उन्होंने इसी के साथ सीआरपीएफ के उनका डट कर मुकाबला करने की बात भी कही है। वह आगे बोले, “इसका प्रभाव पड़ेगा (गोलियों का), लेकिन हमारे जवान इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे।” बुलेटप्रूफ जैकेट को भेदने वाली इन गोलियों को फिलहाल फॉरेंसिक टेस्ट के लिए राज्य के बाहर भेजा गया है।