प्राचीनतम देवभाषा संस्कृत के पुनरुत्थान हेतु असम सरकार का बड़ा फैसला:8वी तक संस्कृत होगी अनिवार्य
करिश्मा अग्रवाल(विशेष संवाददाता)
देववाणी कहलाई जाने वाली संस्कृत की महत्ता इतिहास को देखे या शास्त्रों को सर्वत्र विदित है।आज विदेशों में, जहाँ इसके महत्त्व को सराहा जा रहा है ,वहीँ अपने देश में इसके महत्त्व को समझनेवाले बहुत कम है।ऐसे में इस प्राचीन भाषा के प्रसार हेतु ,बड़ा फैसला लेते हुए असम के स्कूलों में संस्कृत को अनिवार्य किया जाएगा। असम सरकार की कैबिनेट ने फैसला लिया है कि सूबे के सभी स्कूलों में 8वीं कक्षा तक संस्कृत को पढ़ाया जाए।
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने खुद इस फैसले की जानकारी ट्वीट कर दी। वहीं, संस्कृत आंदोलन रत संगठन, खासकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ असम सरकार के इस फैसले से बहुत खुश हैं। संघ ने कहा है कि असम की तरह देश के बाकी राज्यों को भी चाहिए कि स्कूलों में संस्कृत भाषा को अनिवार्य करें। संघ अपने प्रभाव वाले स्कूल पहले से ही इसका पालन कर रहे हैं।सोनोवाल का ट्वीट इस प्रकार है-
Also the Cabinet has decided that all the schools will teach Sanskrit as a compulsory language up to 8th Standard. — Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal)
केंद्र सरकार भी संस्कृत पढ़ाए जाने को लेकर कई दफा जोर दे चुकी है,पर कई राज्यों ने संस्कृत को लेकर कई बार उदासीनता दिखाई है। असम में पहली बार बीजेपी सत्ता मे है, इसलिए भी संस्कृत पुनरुत्थानन से जुड़ा ये निर्णय स्वाभाविक लगता है।