जाने एक ऐसा इलाका जहा बन्दुक की नोक पर कटती है फसले

अंजनी राय 

बलिया ।। बंदूक के बल पर लूट तो आपने सुनी होगी, लेकिन क्या कभी यह सुना है कि बंदूक के बल पर फसलें काटी जाती हैं। वह भी कोई एक अथवा दो बार नहीं, बल्कि छह-सात दशक से प्रत्येक वर्ष। यह काल्पनिक कहानी नहीं, सच्चाई है तीन तरफ से बिहार से घिरे जनपद बलिया की। जनपद के हांसनगर दियारा क्षेत्र में 42 सौ एकड़ भूभाग पर लगी फसल की कटाई के समय प्रत्येक वर्ष गोलियां तड़तड़ाती हैं, कई लोग वर्चस्व सिद्ध करने की इस जंग में अपनी जान से हाथ भी धो चुके हैं। जो भारी पड़ता है, वह फसल काट ले जाता है। कटाई का समय करीब आने से किसानों की जान सांसत में है।

जानकारी के अनुसार कुल 26642 वर्ग मीटर में फैली गंगबरार भूमि पर फैले हांसनगर दियारा क्षेत्र में जिले के हांसनगर एवं बिहार के भोजपुर जनपद के सपही के किसान सह खातेदार हैं। 32 सौ एकड़ भूभाग पर विवाद तो केंद्र सरकार के प्रयासों से सुलझ गया, लेकिन एक हजार एकड़ भूभाग को लेकर यूपी और बिहार के किसान प्रत्येक वर्ष आमने-सामने आ जाते हैं। दोनों तरफ से बंदूकें तन जाती हैं, फायरिंग होती है और गोलियों की आवाज के बीच जान हथेली पर लेकर किसान काटते हैं फसल।

यहां बिहार के दबंग पड़ते हैं भारी

गंगा पार खेतों की जुताई से लेकर फसल काटने तक, विवाद की स्थिति बनी रहती है। खेत और घर के बीच गंगा नदी के कारण यूपी के किसानों पर बिहार के दबंग अक्सर भारी पड़ते हैं और असहाय किसान कभी खुद की किस्मत को कोसते हैं, तो कभी पतित पावनी गंगा को। पुलिस सुरक्षा देने का आश्वासन देती है, लेकिन वह महज आश्वासन बनकर ही रह जाता है।

मजिस्ट्रेट, लेखपाल के साथ तैनात होती है पुलिस भी लगभग सात दशक से चल रहे सीमा विवाद के कारण प्रत्येक वर्ष खेत की जोताई, बोआई, फसल कटाई के समय मजिस्ट्रेट, लेखपाल के साथ ही पुलिस एवं पीएसी की भी तैनाती होती है। फिर भी मौका पाते ही बिहार के दबंग किसानों की आस फसलें काट ले जाने में सफल हो जाते हैं।

केंद्र ने बनाई थी कमेटी

विवाद के स्थाई निराकरण के लिए सन 1972 में केंद्र सरकार ने सीएल चतुर्वेदी की अध्यक्षता में कमेटी बनराई थी। लंबे विमर्श के बाद कमेटी ने सीमांकन कर पिलर भी लगा दिया था, लेकिन दबंगों ने कई जगह पिलर तोड़ विवाद को जीवंत बनाए रखा।

पुलिस की मौजूदगी में भी हुई थीं हत्याएं

दियारा क्षेत्र में पुलिस एवं पीएसी की मौजूदगी में भी किसानों की हत्याएं हो चुकी हैं। तीन अक्टूबर 2003 को पीएसी की मौजूदगी में बिहार के दबंगों ने जनपद के एक किसान की हत्या कर दी थी, वहीं चार अक्टूबर 2004 को पुलिस की मौजूदगी में हुई गोलीबारी में सपही, बिहार के एक किसान को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।

अधिकारी बोले, सुनिश्चित होगी फसलों की सुरक्षा

पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ने कहा कि फसल काटने के समय सुरक्षा इंतजामात किए जाएंगे। वहीं, अपर पुलिस अधीक्षक विजय पाल सिंह ने कहा कि इसको लेकर पुलिस हमेशा अलर्ट रहती है। जरूरत पडऩे पर पीएसी भी तैनात की जाती है। उन्होंने किसानों को किसी भी तरह की दिक्कत होने पर तत्काल पुलिस को सूचित करने की सलाह देते हुए कहा कि फसलों की सुनिश्चित की जाएगी।

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