नकारात्मक सोच बदल कर ही समाज को बदला जा सकता है – प्रो. आर. एन. सिंह
सुलतानपुर। ‘नकारात्मक सोच बदल कर ही समाज को बदला जा सकता है ।संशय से बाहर निकलिये जिंदगी अपने आप खुशहाल हो जायेगी ।’ यह बातें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर.एन.सिंह ने कही। श्री सिंह कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक विज्ञान संस्थान में आचार्य विश्वनाथ पाठक शोध संस्थान फैजाबाद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर बतौर अध्यक्ष सम्बोधित कर रहे थे।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. जगदीश सिंह दीक्षित ने कहा – समय और समाज के परिवर्तन से मनोवृत्तियां बदल रही हैं। इससे अनेक व्यावहारिक समस्यायें पैदा हो गई हैं । ऐसे में वृद्धों की सलाह और उन्हें सम्मान देकर हम सामाजिक समस्याओं को कम कर सकते हैं ।’ बतौर विशिष्ट अतिथि डॉ.शकुन्तला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ की प्रोफेसर गौरी त्रिपाठी ने कहा – ‘इतिहासकारों से जो बातें छूट जाती हैं वह साहित्यकार लिखता है । प्राचीन काल की मनोवृत्तियों को जानने के लिये हमें साहित्य पढ़ना ही होगा।
अतिथियों का स्वागत करते हुये के.एन.आई. के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.राधेश्याम सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण ने अनेक समस्यायें पैदा की हैं जिससे लड़ने के लिये हमें सचेत रहना पड़ेगा। सत्र का संचालन आपस के निदेशक एवं अध्यक्ष डॉ.विन्ध्यमणि ने व आभार ज्ञापन उप प्राचार्य डॉ. सुशील कुमार सिंह ने किया।
संगोष्ठी संयोजक डॉ.अतुल कुमार मिश्र व डॉ.विंध्यमणि ने अतिथियों को स्मृतिचिन्ह,अंगवस्त्र ,पुस्तकऔर पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया । मुख्यअतिथि व अध्यक्ष ने संगोष्ठी की स्मारिका का लोकार्पण किया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. ए. के. श्रीवास्तव, डॉ.विजय प्रताप सिंह,युवा साहित्यकार ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह ‘रवि’ समेत संस्थान के शिक्षक व विद्यार्थी मौजूद रहे।
संगोष्ठी के तकनीकि सत्र में विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये । इसमें बोलते हुये वाराणसी के डा. ओ.पी.चौधरी ने कहा कि मनोविकृतियों का निदान होना ही चाहिये । इसलिये इसे प्रगट करने में संकोच न करें। सत्र की अध्यक्षता साकेत पी.जी.कालेज के मनोविजान विभागाध्यक्ष डा.राम कलप तिवारी व संचालन डॉ.राजेश प्रताप सिंह ने किया।