जो न कर सकी योगी सरकार, वह कर गया मुख़्तार अंसारी का लाल
मऊ. कहते है एक बाप के लिये गर्व की बात यह होती है कि उसका बेटा उससे ज्यादा नाम कमाये. इस गर्व के लेबल को देखे तो वाकई मऊ सदर विधायक मुख़्तार अंसारी पर ईश्वर ने विशेष कृपा किया है. खेल के मैदान से लेकर राजनीती के अखाड़े तक में मुख़्तार अंसारी पुत्र अब्बास ने अपने परिवार का नाम रोशन किया है. इस हांड कपा देने वाली ठण्ड में जिसमे कही न कही प्रदेश सरकार गरीबो को कम्बल हर जगह उपलब्ध करवाने में असमर्थ रही है वही पुरे मऊ जिले के लगभग एक एक गाव में घूम घूम कर अब्बास अंसारी ने खुद गरीबो को रजाईयां बाटी और कम्बल तकसीम किया.
क्या अमीर क्या गरीब ठण्ड सबको लगती है. बस फर्क इसका होता है कि अमीर इस ठण्ड को भी इंजॉय करता है और गरीब इस ठण्ड को झेलता है. फर्क भले ही एक हो मगर दोनों की कैफियत में ज़मीन आसमान का फर्क है. हमारी आपकी रूह काप जायेगी सिर्फ यह सोच कर कि बिना किसी ख़ास गर्म कपडे के हमको रात गुजारनी पड़े, मगर हकीकी ज़िन्दगी में ऐसे काफी लोग है जो इस कडकडाती ठण्ड में किसी गर्म जगह जैसे किसी चाय की दूकान की बंद हो चुकी भट्टी की गर्माहट की आस में रात गुज़ार देते है. शायद इसी को गरीबी कहते है कि खुद के लिये एक कम्बल या फिर एक रजाई भी नहीं खरीद सकने वाले काफी लोग इस देश में है. वो न हिन्दू है, न मुस्लमान है, न सिख है, न इसाई है. वह तो सिर्फ एक इंसान है. एक गरीब इंसान.
शायद यही सब मसायल रहे जो अब्बास जैसे नवजवान को अन्दर तक झकझोर के रख दिया होगा और यह नवजवान गुजिश्ता दस दिनों से लगातार रोज़ रात के घुप अँधेरे और दिन के उजाले में मऊ जनपद के एक एक ब्लाक के एक एक गाव में घूम घूम कर गरीबो को रजाई और कम्बल तकसीम कर रहा है. चाहे वह मंदिर हो, या मस्जिद हो, मदरसा हो या फिर किसी आश्रम की कुटी, दरगाह हो या फिर कोई शिवालय सभी जगह खुद जाकर बिना किसी मीडिया फुटेज के बिना किसी प्रोपोगंडा के ख़ामोशी के साथ कम्बल और रजाई लोगो को दे रहा है.
इसी कड़ी में आज अब्बास की गाडी का रुख हुआ रतनपुरा ब्लाक के तरफ और रतनपुरा गाव में जाकर कम्बल और रजाई का वितरण किया. अब्बास जब रतनपुरा मंदिर के पुजारी को जाकर अपने हाथो से कम्बल पहनाया तो पुजारी जी ने अपने दोनों हाथ बरबस अब्बास के सर पर रख कर दुआ देना शुरू कर दिया. देखने वाले अब्बास के विरोधी भी इस कार्य से अचंभित है और दबी ज़बान में अब्बास की अब तारीफ करते नज़र आ रहे है.
हमारे प्रश्न कि इस प्रकार के कार्यक्रम में मीडिया को आमंत्रित करने का काम वो क्यों नहीं करते है के जवाब में अब्बास ने संजीदगी से बताया कि देखिये हम खिदमत-ए-खल्क कर रहे है. इसमें प्रचार प्रसार अपने काम का करने की क्या आवश्यकता है. अल्लाह ने हमको दिया है कि हम किसी की मदद कर दे तो करते है. जो लोग ये सब राजनितिक दृष्टि से करते है यह वह लोग जाने क्योकि मै तो राजनितिक दृष्टि से ये सब नहीं कर रहा हु. वह एक शेर है न कि “उनका जो पैगाम है वह अहले सियासत जाने, हमारा तो पैगाम-ए-मोहब्बत है जहा तक पहुचे.”