नगर को साफ़ करने का दावा करने वाले खुद गन्दगी में जी रही है

विनय यागिक

जालौन उरई। स्वच्छ भारत का ढिढोरा चारों ओर नजर आ रहा है।लेकिन दिया तले अंधरे की कहावत इस मामले में उस समय चरितार्थ दिखाई देती है जब सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की कालोनियों में गंदगी का अंबार नजर आता है।

यह कालोनी सफाई के मामले में बदहाल स्थिति की वजह से बीमारियों की सौगात बांटती नजर आती है। कालोनी के फ्लेटों के पिछवाड़े के इलाकों में जिस तरह से गंदा पानी भरा है उससे साबित होता है कि यहां सफाई की कोई व्यवस्था नही है। कई घरों के पास ही कूड़े का जमाव है। नारकीय स्थिति की वजह से कालोनी में रहने वाले कर्मचारियों को दुश्वारी में दिन गुजारने पड़ रहे हैं। दुर्गंध की वजह से न वे ढंग से खाना खा पाते हैं और न ही उनका सोना ढंग से हो पाता है।

कालोनी की इस दशा पर लोग कहने लगे हैं कि जब प्रशासन अपने ही कर्मचारियों के परिवारों के लिए सफाई सुनिश्चित नही कर पा रहा तो अन्य जगह वह स्वच्छता के लिए गंभीर कैसे हो सकता है। इन तानों के बावजूद अधिकारी हैं कि सजग होने को तैयार नही हैं।

वही राजेन्द्र नगर कंजड कालौनी के पास वाले नाले की सफाई की सुध नगर पालिका को बहुत देर बाद आई। पर सफाई के नाम पर कर्मचारियों ने ऐसी लीपापोती की 5 दिन पहले हुई नाले की सफाई की तस्वीरें इस बात की गवाही देती है कि सफाई के नाम पर स्वक्षता का ढिढोरा पीटने वाली मोदी और योगी सरकार के सफाई को लेकर दिये गये आदेशो की कैसे धज्जिया उड़ाते है। और लीपापोती कर सफाई अभियान को पलीता लगाने में कोई गुंजाइश नही छोड़ रहे है। वही नगर पालिका अध्यक्ष अनिल बहुगुणा स्वक्षता को लेकर काफी संजीदा है पर शायद अधिकारी और कर्मचारी उनके स्वच्छ नगर की कल्पना पर सफाई करके ही दम लेने की ठान चुके है।

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