मैथिली संस्कृति का न्याय दर्शन अपने आप में है एक विरासत: नितिन रमेश गोकर्ण कमिश्नर
मिथिला भाषा की मिठास का एक अलग ही है अंदाज: अभय कुमार ठाकुर आयकर आयुक्त
मिथिला समाज काशी का सम्पन हुआ रंगारंग आयोजन
मोहम्मद जावेद।
वाराणसी।मिथिला और मैथिली विरासत का इतिहास निश्चय ही अपने आप में बड़ा गौरवपूर्ण रहा है।अपनी संस्कृति, भाषा और मेघा के कारण इस समाज ने अपनी एक अलग ही पहचान निर्मित की है। महर्षि कणाद, याज्ञवल्क्य, मंडन मिश्र की भूमि मैथिला को न्याय दर्शन के लिए ही जाना जाता है। उक्त विचार वाराणसी के मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण ने व्यक्त किये।
वह मिथिला समाज काशी द्वारा रविवार को महात्मा ग़ांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ के सभागार में आयोजित ‘मिथिला मिलन समारोह 2017’ में बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि मिथिला समाज का ये आयोजन मैथिली मिठास से समाज को प्रेरित करेगा।
विशिष्ट अतिथि आयकर आयुक्त वाराणसी डॉ अभय ठाकुर ने कहा कि भारतीय संस्कृति के संवर्धन में मैथिलि समाज का एक अहम योगदान रहा है।इस समाज के लोगो में जो परस्पर प्रेम और सहयोग के भावना देखने को मिलती है।इससे सीख लेने की जरुरत है।इस दौरान सुभाष मिश्र निदेशक, एम्बिशन इंस्टिट्यूट पड़ाव, एल इन झा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
संस्था के अध्यक्ष राजीव कुमार झा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि वाराणसी में रह रहे मिथिला और मैथिल को एक मंच पर एकत्रित कर उनकी सांस्कृतिक अस्मिता को बनाये रखने की जरुरत है।जो इस मंच के माध्यम से करने का एक छोटा प्रयास करने की कोशिश है।इस दौरान प्रीति मिश्रा और साथी कलाकारों ने गायन की प्रस्तुति दी।इसके साथ ही मैथिली विधि व्यवहार को प्रदर्षित करती पुस्तक एवं पेंटिंग प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो सी बी झा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने किया।इस दौरान प्रो आर एस झा, प्रो केशव मिश्रा, डॉ अशोक सिंह, डॉ अंशु सिंह, प्रेमनाथ झा, राकेश झा, डॉ बाला लखेंद्र, डॉ अनिल सिंह, भानु नारायण आदि उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन डॉ वंदना झा और धन्यवाद ज्ञापन राकेश झा ने किया।