किसी को हो न हो मुझको यकीं है ,नबी का दीन ही दीन-ए-मुबीं है – नफीस अंसारी
फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी //लखीमपुर खीरी जिले के खीरी टाउन के मोहल्ला डीहपुर में हिन्दी और उर्दू के कहानीकार और कवि के वालिद (पिता) साहब के हज यात्रा पर रवाना होने के मौके पर एक नातिया नस्सित (गोष्ठी) का आयोजन किया गया। जिसमें हमारे बाम्बे से तशरीफ लाये हुए शहबाज हैरत चिस्ती ने कहा बस इक इशारा हुआ चाँद हो गया टुकड़े, यह मत समझना कि उनके कई इशारे हुए।
इकबाल अकरम वारसी ने कहा कि नबी का दर्शन दुनियां में ऐसा दर है जहाँ अकील कतरे संमदर बनाये जाते हैं। कादरी लखीमपुरी ने अपने जज्बात यूँ पेश किये इशारे से उन्ही के फुल मून को भी ,कौन है ऐसा जिसने डिवाइड किया है. और नफीस अंसारी ने अपना इजाहरे अकीदत यूँ पेश किया किसी को हो न हो मुझको यकीं है ,नबी का दीन ही दीने मुबीं है।
नसीम सीतापुरी ने कहा बंया मैं कैसे करूँ अजमत मोंहम्मद की ,खुदा के दर से दुरूदों सलाम आता है ।इलियास चिस्ती ने कहा जो करे आप का अपमान रसूले अरबी पाये दोजक का रसूले अरबी ।इस मौके पर और तमाम से शायरो के अलावा काफी शंख्या मे श्र्रोता भी मौजूद रहे ।जिसमें मोहम्मद इलियास ,मोहम्मद अशफाक ,हाजी मोहम्मद सईद ,हाफिज मोहम्मद कय्यूम,वसीम अंसारी, जलीस अंसारी, जाहिद अली और मास्टर मोहम्मद सईद लोग मौजूद रहे ।