सुलतानपुर – चोरी की CCTV फुटेज के बाद भी दो महीने से ऍफ़आईआर नहीं दर्ज कर रही कादीपुर पुलिस
सुल्तानपुर, पुलिस द्वारा अपने कार्यो की हिला हवाली आपने अक्सर सुना होगा, मगर चोरी जैसी घटना और फिर उसका CCTV फुटेज उस पर से लिखित शिकायत फिर भी थानेदार साहब अगर मुकदमा नहीं पंजीकृत करते है तो यह वाकई पुलिस की कार्यशैली पर एक सवालिया निशाँन लगाता है.
मामला सुल्तानपुर जिले के कादीपुर कोतवाली का है. इस थाना क्षेत्र के अंतर्गत चांदा रोड पर यूको बैंक के नीचे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का संचालन कर रही प्रियंका त्रिपाठी का आरोप है कि उनके द्वारा संचालित प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के केंद्र पर दिनाक 21 दिसंबर 2017 को चोरी हो गई थी, जिसमे चोर 55 हज़ार रूपये नगदी पर हाथ साफ कर गये थे. पीडिता का आरोप है कि उक्त घटना CCTV फुटेज में कैद हो गई थी, जिसके द्वारा चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले लोग को चिन्हित करते हुवे नामज़द शिकायती प्रार्थना पत्र दिनांक 22 दिसंबर 2017 को सम्बंधित थाने पर दिया गया, पीडिता के अनुसार सम्बंधित घटना का CCTV फुटेज भी थानेदार को सीडी में उपलब्ध करवा दिया गया था. इसके बाद भी आज तक सम्बंधित थाना केवल जाँच की बात कर रहा है और अभी तक मुकदमा भी दर्ज नहीं किया गया कार्यवाही तो बहुत दूर की बात हो गई.
प्रश्नवाचक कार्यशैली सिर्फ यही तक सीमित नहीं है. इस घटना के पूर्व भी इसी केंद्र पर चोरी हुई थी. उक्त घटना के सम्बन्ध में हमसे बात करते हुवे पीडिता प्रियंका त्रिपाठी ने बताया कि दिनांक 5 फरवरी को भी हमारे इसी केंद्र पर चोरी की घटना हुई थी जिसमे चोर तीन लाख मूल्य के 11 लैपटॉप चुरा ले गए थे. जिस सम्बन्ध में लिखित शिकायत करने के बाद काफी जद्दोजहद करना पड़ा तब थाने पर मुकदमा दर्ज हुआ था. इस प्रकरण में पीडिता द्वारा बताया गया कि घटना की जाँच में पुलिस ने इस केस पर कोई कार्यवाही न करते हुवे जांच के दौरान फ़ाइनल रिपोर्ट लगा दिया.
अब सबसे बड़ा प्रश्न यह उठाता है कि थाना प्रभारी किसी चोरी की घटना जिसमे CCTV फुटेज उपलब्ध है और शिकायत नामज़द है कि जाँच आखिर किस प्रकार करवा रहे है जिसका आज तक वह निष्कर्ष नहीं निकाल पा रहे है. जबकि नियमो के अनुसार भी देखा जाये तो मुकदमा पंजीकरण करना तो बनता है. हम अभी उस केस की बात ही नहीं कर रहे है जिसमे पुलिस फ़ाइनल रिपोर्ट लगा कर मामले को ख़त्म कर चुकी है आज दो महीने बीतने के बाद भी थाना प्रभारी इस प्रश्न का उत्तर देने में असमर्थ है. घटना को देख कर तो ऐसा प्रतीत होता है कि थाना प्रभारी सिर्फ अपना गुड वर्क कागजों पर दर्शाने और अपने क्षेत्र में अपराध के ग्राफ का सही आकडा नहीं दर्शाने के गरज से मुक़दमे ही पंजीकृत नहीं करते है. जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बैठे थाना प्रभारी को शायद इस बात का आभास है कि हमारा विरोध करने वाला कोई रहेगा ही नहीं. एक महिला पीडिता को जिस प्रकार इस केस में दौड़ाया जा रहा है उससे पुलिस के कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक सी बात है.
इस सम्बन्ध में जब हमने थाना प्रभारी कादीपुर कुवर बहादुर सिंह से फोन पर बात किया तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में बहुत ही इत्मिनान के साथ कहा कि मामला संज्ञान में है और जल्द ही कार्यवाही होगी, मामले की जाँच चल रही है. अब समझ नहीं आने वाली बात तो यह है कि मामले की जाँच आखिर कितनी लम्बी खीचेंगे थानेदार साहब क्योकि दो महीने एक चोरी की घटना के खुलासे के लिये बहुत होते है, यहाँ तो घटना का CCTV फुटेज उपलब्ध है और शिकायत भी नामज़द है तो फिर थाना प्रभारी किस आधार पर मुकदमा दर्ज करने से हिचक रहे है. देखना है कि क्या मुक़दमा दर्ज भी होता है या फिर ऐसे ही शिकायत को किसी रद्दी की टोकरी में फेक दिया जाता है अथवा फेका जा चूका है.