अम्बुज यादव इनकाउंटर प्रकरण – जारी है पुलिस पर आरोप, मगर यक्ष प्रश्न तो पुलिस को निर्दोष कह रहा है
हरिशंकर सोनी.
सुल्तानपुर. शातिर अपराधी अम्बुज यादव प्रकरण में पुलिस की भद्द पिटना शुरू हो गयी है इन्काउण्टर को फर्जी बताकर डीएम को ज्ञापन भी दिया गया है । पंजे में गोली लगना पुलिस पर सवालिया निशान लगा रहे हैं । दूसरा पहलू यह भी है कि अगर अम्बुज को वाकई में ढेर करना होता तो पुलिस के सामने मौका ही मौका था । ऐसे में आरोपों के बीच अब कप्तान की टीम सवालों के घेरे में आ गयी है । बहरहाल इस प्रकरण में प्रदेश के पुलिस अधिकारी भी नजर गड़ाए हैं।
बुधवार से पुलिस मुठभेड़ में कादीपुर के दुर्दान्त अपराधी अम्बुज यादव को घायल अवस्था में पुलिस ने पकड़ लिया । जबकि इसका साथी कल्लू पण्डित भागने में कामयाब रहा । इधर कप्तान अमित वर्मा पत्रकारों को सम्बोधित कर रहे थे तो उधर जिला पंचायत सदस्य कमला यादव और अम्बुज यादव का वायरल वीडियोे लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ था। अमूमन देखा जाता है कि यदि किसी अपराधी को पुलिस ढेर कर देती है तो आम लोगों में जश्न जैसा माहौल रहता है लेकिन यहां पर तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है। सूत्रों की मानें तो अम्बुज अपराध के साथ-साथ हत्या की सुपारी भी लेता था। यहां पर पुलिस की जरा सी चूक से अम्बुज के पक्ष को मुद्दा मिल गया है।
दूसरा पहलू यह भी है कि यदि पुलिस का इन्काउण्टर फर्जी होता तो अम्बुज मौके पर ही ढेर हो गया होता। पुलिस जहां मुठभेड़ दिखा रही है वहां सूनसान जंगल है। यदि वाकई में अम्बुज ढेर हुआ होता तो जो सवाल खड़े हो रहे हैं उसके बजाय कप्तान की पीठ थपथपाई जाती। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने या तो कानून हाथ में नहीं लिया या फिर कानून का ध्यान रखते हुए अपराधी को जेल की सींखचों के पीछे भेज दिेया। यह दोनों पहलू एक पक्ष प्रश्न बने हुए हैं। चर्चाओ का बाज़ार तो ये भी है कि कहीं पुलिस टीम ने दरियादिली तो नहीं दिखाई है. अमूमन देखा जाता है अपराधी बचने के लिए पुलिस पर आरोप पर आरोप लगाते हैं यहां पर पुलिस ही आरोपी हो रही है. अब देखना यह होगा के अम्बुज यादव के समर्थन में आये लोग बैक फुट पर जाते है या फिर पुलिस पर सवालिया निशाँन लगा रहता है.