गड़वार बलिया- संत शिरोमणि जंगली बाबा के जन्मोत्सव रामनवमी पर विशेष
जनपद सदैव से धार्मिक नगरी रहा है जहाँ अनेक संत महात्मा पैदा हुए जिन्होंने अपनी तपस्या के बल पर ख्याति एवं प्रसिद्धि अर्जित कर भक्तो के दुखों के निवारण में महत्वपूर्ण कार्य किया।उन्ही सन्तो में जंगली बाबा भी इस धरती की अमूल्य देन है जो अपनी तपस्या के बल से दुःखियों का उद्धार करते है।उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तथा बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में जाम ग्राम तहसील रसड़ा के पावन धरती पर एक ऐसे संत का अवतरण हुआ था जिसे जनसमुदाय जंगली बाबा के नाम से जानता हैं ।बाबा के जीवन मे यही सादगी परिलक्षित होती रही जो एक साधारण गृहस्थ जीवन मे दिखलाई देती है।बाबा का जन्म क्षत्रिय कुल के एक निर्धन परिवार में हुआ था।माता पिता एक भाई का परिवार प्रकृति में प्रदान की थी।किंतु यह छोटा सा परिवार बाबा की छोटी उम्र में ही कालकवलित हो गया।बचपन मे ही बाबा के जीवन मे देवत्व गुण दिखलाई देने लगा था।सांसारिक मोह माया का परित्याग कर श्री सुदिष्ट बाबा के यहां चले गए।ज्ञानार्जन में समय व्यतीत करने के पश्चात घाघरा के किनारे निवास करने लगे।एक बार परम् सिद्ध संत सद्गुरु सदाफल जी से बाबा ने यह बात कही थी कि ‘ भईयवा हम त अपना खातिर आइल बानी,हम त अभी कुछ पवले नइखी की बांटी तू इहँवा बाटे खातिर आइल बाटे तू बांट’ यह बात सदाफल जी के लिए वरदान साबित हो गयी आज विहंगम योग साधना का प्रचार पूरे विश्व मे फैलने जा रहा है।
बाबा कितने बड़े सन्त थे इसका आकलन करना समुद्र से मोती निक़ालने के समान है।हथुआ राज की राजमाता अपनी भक्ति श्रद्धा में वंशहीन राज्य सत्ता को चलाने में बाबा का आशीर्वाद पाकर सफल हुई।राजमाता ने बाबा की समाधि शरीर का तथा नरव और जटा के स्थानों पर भव्य मन्दिरो का निर्माण कराया।गड़वार में निर्वाण स्थली,जाम जन्म स्थली तथा साधना स्थली कठौड़ा का मंदिर बाबा का याद दिला रहा है।बाबा के जीवन की कई आश्चर्य जनक बाते उजागर होती है।जिससे मन मस्तिष्क आश्चर्य में पड़ जाता है।जनश्रुति के अनुसार बाबा को अपने भक्त जनों के साथ ट्रेन से जाना था।भक्तजन अभी स्टेशन पर पहुंचे नही थे कि ट्रेन स्टेशन पर आकर खड़ी हो गयी।भक्तजन कहने लगे ‘बाबा गाड़ी ना मिली यह सुनकर जंगली बाबा बोल उठे भैय्वा बेचैन मत होख सन हमनी के गड़िया लेके चलि का’ सभी भक्त स्टेशन पर पहुंच गए।सभी के पहुँचने के बाद ट्रेन रुकी रही।बाबा अपने भक्तों के साथ ट्रेन पर बैठ गए तब भी ट्रेन रुकी रही।
बैठने के पश्चात बोले ‘ कली कावा अब चलू चली जा’।ट्रेन चल दी।सभी भक्त गण बिना टिकट के ही ट्रेन पर सवार हो गए थे।अगले स्टेशन सम्भवतः रसड़ा में ही चेकिंग हो गयी सभी पकड़े गए।बाबा वही थे।एक भक्त बाबा से कहा कि सबसे पुलिस पकड़ले बा टिकट ना रहलह ओहि से इतना सुनना था कि बाबा कहे ‘भइयवा अपना थैलियां में देखसन टिकटवा त ओहि में होई निकाल के देदसन’ सभी लोग पॉकेट में हाथ डाले तो सबसे पॉकेट में टिकट पड़ा था।बाबा के बारे में तरह तरह की किवंदन्तिया प्रचलित है।बाबा के जन्मोत्सव पर आयोजित शतचंडी यज्ञ की पूर्णाहुति बाबा का श्रृंगार व पादुका पूजन आज होगा।