साहब – क्षेत्रवासी लगा रहे विकास की आस
सरताज खान
गाजियाबाद / लोनी उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नगर पालिका परिषद में शुमार लोनी नगर पालिका का यह वह क्षेत्र है जो देश की राजधानी से एकदम सटा होने के कारण यहां विकास की गंगा बहानी चाहिए। मगर यह क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि घटिया राजनीति के चलते यह क्षेत्र हमेशा उपेक्षा का शिकार रहा है। ऐसे में जब नगर पालिका चेयरमैन, क्षेत्रीय विधायक, सांसद, व मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक जब सब एक ही पार्टी (भाजपा) से ताल्लुक रखते हैं, ऐसे में अब यहां की जनता ने क्षेत्र की मूलभूत सुविधाओं व अन्य विकास के लिए कुछ सपने संयोजे हैं जिनका अब पूरा ना हो पाना उनके लिए बेईमानी होगी।
देश की राजधानी दिल्ली से सटे लोनी क्षेत्र की आबादी लगभग 16 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। लेकिन विकास के मापदंड के मामले में याहा की स्थिति उसके बिल्कुल विपरीत है। जिसकी आबादी में बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के लोगों की एक बड़ी संख्या एसी है जो दिल्ली के नजदीक होने के कारण यहां आकर बस गए हैं। जो नौकरी-पेशा आदमी के लिए नित-प्रतिदिन गाजियाबाद, दिल्ली व नोएडा आते-जाते हैं। सरकार की अनदेखी के चलते क्षेत्र पिछड़ेपन की ओर जाता रहा है और यदि कभी कोई योजना केंद्र या राज्य सरकार द्वारा यहा विकास के लिए लाई गई तो, पूर्व प्रतिनिधि, अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा योजना का दुरुपयोग ही हुआ है।
सामाजिक संगठन लगा रहे मुख्यमंत्री से गुहार
सामाजिक संस्था जागरूक भारत मंच के एक प्रतिनिधिमंडल ने कुछ दिन पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मिलकर लोनी की समस्याओं के संदर्भ में वार्ता कर एक प्रार्थना पत्र भी उन्हें सौंपा था। संस्था के संरक्षण श्रीकांत मिश्र, सचिन कुमार, डॉक्टर कौमुदी चौधरी, आर सी सुंदरियाल व आर के नौटियाल द्वारा मुख्यमंत्री को दिए गए पत्र के अगले ही दिन उस पर कार्रवाई होती हुई नजर भी आई थी। जिसके संदर्भ में तत्कालीन डीएम ने प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए आमंत्रित भी किया था।
अनदेखी
करोड़ों रुपए खर्च कर ट्रोनिका सिटी क्षेत्र में बनाया गया इको पार्क गंदगी का शिकार है जो आज भी बंद पड़ा है। सैकड़ों करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई गई शिवर लायंस को लगभग 10 वर्ष बीत चुके हैं मगर आजतक वह चालू नहीं हो पाई। वही वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति भी दयनीय स्थिति में है। सैकड़ों रुपए की लागत से बनाए जाने वाला दिल्ली सहारनपुर 57 मार्ग लगभग 10 वर्षों से पूरा नहीं हो सका है। सूत्रों की माने तो सरकार द्वारा उसकी जांच कराई जा रही है।