एमएसओ संगोष्ठी में उठा विचार नजीब अहमद का लापता होना, हर छात्र के साथ धोखा

अब्दुल रज्जाक थोई 
जयपुर। नजीब अहमद एक होनहार विद्यार्थी है और उसका ग़ायब होना देश के भविष्य के साथ धोखा है। यह विचार आज यहाँ पिंकसिटी प्रेस क्लब में मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजे़शन ऑफ़ इंडिया यानी एमएसओ की तरफ़ से आयोजित संगोष्ठी में सुनने को मिले। आपको बता दें कि दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में विज्ञान के विद्यार्थी नजीब अहमद पिछले साल१५ अक्तूबर से लापता है। 

मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजे़शन ऑफ़ इंडिया यानी एमएसओ की इस परिचर्चा में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ख़ालिद अयूब मिस्बाही, गाँधीवादी विचारक पंचशील जैन, यूथ कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सादिक़ ख़ान, छात्र नेता डॉ धीरज बेनीवाल, एमएसओ के मीडिया सचिव डॉ. इमरान क़ुरैशी और इंजीनियर नफ़ीस के अतिरिक्त कई विचारकों ने हिस्सा लिया और एक स्वर में यह माँग की कि नजीब को लापता हुए क़रीब १०० दिन हो चुके हैं और देश के एक होनहार छात्र के लापता होने पर भी दिल्ली पुलिस और केन्द्र सरकार का रवैया बहुत ग़ैर ज़िम्मेदाराना है।
जेएनयू का रवैया असंतोषजनक-  
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ख़ालिद अयूब मिस्बाही ने परिचर्चा में कहाकि नजीब के लापता होने के दिन से ही जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय का रवैया बेहद ग़ैर ज़िम्मेदाराना और अन्यायपूर्ण रहा है। जब यह बात साबित हो चुकी है कि १५ अक्तूबर से एक रात पहले नजीब की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं से बहस हुई थी तो जेएनयू ने नजीब की तलाश में बनाई गई अपनी जाँच समिति में यह तथ्य क्यों छिपाया। उन्होंने कहाकि जेएनयू का रवैया नजीब को ढूँढने में है ही नहीं क्योंकि वह दिल्ली पुलिस को भी सहयोग नहीं कर रही, एबीवीपी के दोषियों के नाम और दादागिरी को छिपा रही है और नजीब की माता और परिवार वालों को कोई संतोषजनक उत्तर भी नहीं दे पा रही। 
दिल्ली पुलिस बीजेपी सरकार की तरह काम कर रही-  
यूथ कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सादिक़ ख़ान ने कहाकि दिल्ली पुलिस भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के उन दोषी लड़कों को बचाने के प्रयास में लगी हुई है जो नजीब अहमद के लापता होने के संदिग्ध हैं। उन्होंने कहाकि शुरूआत से ही दिल्ली पुलिस जानती है कि नजीब के लापता होने के पीछे एबीवीपी का हाथ है और केन्द्र सरकार के अधीन होने के नाते वह बीजेपी की एक ब्रांच के तौर पर काम कर रही है। नजीब की माता की रिपोर्ट लिखने में आनाकानी और फिर रिपोर्ट होने के बाद भी एबीवीपी के संदिग्धों से पूछताछ नहीं करने की हरकत बता रही है कि दिल्ली पुलिस केन्द्रीय गृह मंत्रालय के दबाव में काम कर रही है। 
नजीब को बीमार कहना, दोषियों को बचाना है-  
गाँधीवादी विचारक पंचशील जैन ने दिल्ली पुलिस के उस कथन का खंडन किया जिसमें दिल्ली पुलिस ने नजीब अहमद के होस्टल के साथियों के बयान के आधार पर यह आशंका जताई थी कि नजीब अहमद कदाचित् डिप्रेशन का शिकार था और ख़ुद ही किसी अज्ञात स्थान पर चला गया है। 
उन्होंने दिल्ली पुलिस के इस दावे को यह कहते हुए रद कर दिया कि जब दिल्ली पुलिस ख़ुद नजीब का पता बताने वाले को एक लाख रुपए का पुरस्कार देने की बात कह रही है ऐसी स्थिति में वह यह थ्योरी कैसे दे सकती है कि नजीब की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। उन्होंने कहाकि दिल्ली पुलिस शुरू से ही नजीब के परिवार वालों और समर्थकों को टरकाने की नीयत से जाँच को भटका रही है। 
चश्मदीदों से क्यों बच रही है सरकार- 
छात्र नेता डॉ धीरज बेनीवाल ने इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर का हवाला देते हुए कहाकि नजीब के लापता होने के एक सप्ताह बाद दिल्ली से प्रकाशित द इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर में कहा गया कि एम फिल में अन्तरराष्ट्रीय अध्ययन के छात्र शाहिद रज़ा ख़ान ने बताया कि उसने देखा कि नजीब अहमद को जान से मारने की कोशिश की गई। शाहिद १४ अक्तूबर २०१६ की उस रात का ज़िक्र कर रहे थे जब उसने देखा कि नजीब अहमद से एबीवीपी के छात्र भिड़ गए। उन्होंने जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार पर जानबूझ कर चश्मदीदों से बात नहीं करने के आरोप लगाए। 
आइसा के बयान का सुना जाए-  
इंजीनियर नफ़ीस ने कहाकि ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष रामा नागा के बयान को सुना जाना चाहिए जिसमें उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा था कि नजीब के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के लड़कों ने मारपीट की क्योंकि वह मुसलमान है। नागा ने कहाकि १४ अक्तूबर की रात जब नजीब के साथ मारपीट हुई थी तो वह नजीब के हॉस्टल पहुँच गए थे और वहाँ काफ़ी भीड़ हो गई थी। हमने हॉस्टल वार्डन के कमरे में फिर से बातचीत शुरू करने की कोशिश की लेकिन एबीवीपी के लड़कों ने फिर नजीब के साथ मारपीट की। इंजीनियर नफ़ीस ने कहाकि रामा नागा एक चश्मदीद है, दिल्ली पुलिस, जेएनयू जाँच समिति को तो उनके बयान लेने ही चाहिए साथ ही राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी इस केस में अविलम्ब कार्रवाई करनी चाहिए। 
एमएसओ ने नजीब मसले पर पहले आवाज़ उठाई-  
एमएसओ के मीडिया सचिव डॉ. इमरान क़ुरैशी ने कहाकि मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजे़शन ऑफ़ इंडिया यानी एमएसओ ने नजीब अहमद के लापता होने पर सबसे पहले आवाज़ उठाई और इसके बाद ही बाक़ी संगठनों और छात्रों ने नजीब के मसले पर आंदोलन का रास्ता अपनाया। उन्होंने कहाकि वह नजीब के ढूँढे जाने के मसले पर शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीक़े से आवाज़ उठाते रहेंगे। 
डॉ. इमरान ने कहाकि यह सिर्फ़ एक छात्र के लापता होने का मामूली मामला नहीं है बल्कि इस घटना से पूरे विश्व में भारत की साख को भारी धक्का लगा है। लाखों विदेशी छात्र भारत में पढ़ते हैं और इस घटना के बाद क़ानून और सुरक्षा को लेकर उनमें संदेह पैदा होगा और भविष्य में जो विदेशी छात्र भारत में पढ़ना चाहेंगे, उनके सपनों पर भी तुषारापात होगा। 
परिचर्चा में सभी ने एक स्वर में दोहराया कि नजीब अहमद की सुरक्षित वापसी होनी चाहिए और इस संकट की घ़ी में वह नजीब अहमद के परिवार से साथ खड़े हैं। जलपान के साथ संगोष्ठी का दोपहर बाद समापन किया गया ।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *