प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की मुश्किलें बढ़ी
यशपाल सिंह
आजमगढ़-शासन के निर्देश पर सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगाम को लेकर स्वास्थ्य महकमा सक्रिय हो गया है। सीएमओ के निदे्रशन में चार सदस्यी टीम गठित की गई है। टीम जिले में तैनात सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर नजर रखेगी। जिला मुख्यालय पर स्थित मंडलीय अस्पताल और जिला महिला चिकित्सालय पर तैनात लगभग सभी डॉक्टर सरकार ने नॉन प्रैक्टिस एनाउंस ले रहे है। इसके बाद भी इन डॉक्टरों के द्वारा जगह-जगह प्राइवेट प्रैक्टिस की जा रही है। दोनों अस्पतालों में तैनात प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के हौसले इतने बुलंद है कि वे अब तो अस्पताल परिसर स्थित अपने सरकारी आवासों पर ही मोटी फीस लेकर मरीजों को देख रहे है। आठ बजे से शुरू होने वाली ओपीडी में कभी भी डॉक्टर समय से नहीं पहुंचते है। एसआईसी कक्ष में रखे उपस्थिति पंजिका पर आठ से साढ़े आठ बजे के बीच हस्ताक्षर बनाने के बाद अस्पताल के सरकारी डॉक्टर अपने आवास अथवा पहले से चिन्हित स्थानों पर पहुंच कर दस बजे तक प्राइवेट प्रैक्टिस करते है। इसके पश्चात 10 बजे से सामान्य रूप से अस्पताल की ओपीडी शुरू होती है। सबकुछ अस्पताल की मुखिया के छत्रछाया में हो रहा है, लेकिन वे इसे अपने डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस करने की बात मानने से ही इंकार करते है। अस्पताल पर तैनात नेत्र रोग के दो डॉक्टरों के अलावा कोई भी डॉक्टर आठ बजे अपनी ओपीडी में नहीं मौजूद रहता है। अस्पताल परिसर के अलावा रैदोपुर दुर्गा मंदिर, ब्रह्मस्थान, हर्रा की चुंगी, बिलरिया की चुंगी के साथ ही कई ग्रामीण बाजारों में भी मंडलीय अस्पताल पर तैनात डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे है। सिधारी स्थित एक प्राइवेट अस्पताल का संचालन ही मंडलीय और जिला महिला अस्पताल के चिकित्सक द्वारा किया जा रहा है। शासन ने प्राइवेट प्रैक्टिस पर सख्ती दिखायी है।