आॅक्टा ने हाईकोर्ट की टिप्पणी का किया स्वागत

आफताब फारूकी

इलाहाबाद। ऑक्टा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय कुलसचिव की याचिका पर दिये गये उच्च न्यायालय की टिप्पणियों का स्वागत किया है।

ऑक्टा अध्यक्ष डा.सुनील कांत मिश्र ने कहा कि उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय के एक्ट, आर्डिनेंस और रजिस्ट्रार की नियुक्ति के एग्रीमेंट में स्पष्ट है कि रजिस्ट्रार कुलपति के अधीन कार्य करेगा। फिर भी रजिस्ट्रार ने कुलपति के आदेशों की लगातार अवहेलना की और अंततः कुलपति को उनके अधिकार छीनने पड़े। कहा कि कुलसचिव का आरोप हास्यास्पद है क्योंकि यूजीसी रिपोर्ट आने से काफी पहले ही रजिस्ट्रार पर जांच बैठाई जा चुकी थी और यह फैसला कार्यपरिषद् में लिया गया था। कुलसचिव हितेश लव ने लगातार विश्वविद्यालय के कार्यों में अड़चन डालने का ही कार्य किया और कुलपति ने उनसे कुलसचिव का कार्य वापस लेकर परीक्षा नियंत्रक को सौंपने का सही फैसला किया था, यह फैसला तीन माह पूर्व ही हो जाना चाहिए था। ऑक्टा महासचिव डा.उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि यूजीसी रिपोर्ट कुलपति के बारे में नहीं बल्कि विश्वविद्यालय की आधारिक संरचना और अन्य एकेडमिक कार्यों के बारे में है। इससे कुलपति पर कोई धब्बा नहीं लगता, बल्कि इससे कुलपति को कार्यों की प्राथमिकता निर्धारण में मदद मिल सकती है।

अंत में कहा कि आॅक्टा कुलपति के साथ है और उनके काम में अवरोध डालने और उनका विरोध करने वालों की ऑक्टा खिलाफत करती रहेगी। जरूरत पड़ी तो ऑक्टा पिछले छह महीने के कुलसचिव द्वारा किए गए कार्यों को लेकर कार्यकारिणी के सदस्यों से भी मुलाकात करेगी।

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