ग्रामीण स्तर पर भी कलम बिक़ गई क्या

इमरान सागर 

शाहजहाँपुर:-देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने लगभग तील वर्ष होने को हैं! देश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से सबसे अधिक मीडिया खरीद का आरोप सहती आ रही है! मंहगाई हो या फिर विभिन्न सर्जीकल स्ट्राईक या फिर नोटबंदी से होने वाले नुकासन सरीखी टिंम्पणियों आदि ही नही बल्कि वर्तमान उत्तर प्रदेश के बिधान सभा चुनाव में भी यही आरोप लगता नज़र आ रहा है कि मीडिया को खरीद लिया गया है इसलिए मीडिया भाजपा का निगेटिव चेहरा नही दिखा कर सिर्फ और सिर्फ पॉजेटिव ही दिखा रही है! आखिर भारतीय जनता पार्टी ही क्यूँ यह प्रश्न विभिन्न स्तर से आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है! जहाँ एक ओर इलैक्ट्रोनिक मीडिया के जरिय पहले के मुकाबिल तथ्यो को कुछ हद सही प्रस्तुत किया जा रहा है तो वहीं कहीं न कही ग्रामीण स्तर पर भारतीय जनता पार्टी को बिधान सभा चुनाव को लेकर तस्बीर पेश करने वाले विभिन्न छोटे स्तर के पत्रकार छुटभैये नेताओं की वाहवाही लूटने एंव अपनी जेब गरम रखने की गरज धार्मिक और जातिवाद पर समाचार बनाकर राजनीतिक पार्टियों के हितैशी बनने की कोशिश कर कलम को बदनाम करते नज़र आ रहे हैं!
पक्ष में विभिन्न समाचार कि भारतीय जनता पार्टी को मुसलमान इस लिए वोट नही देखा, मुसलमान उस लिए वोट नही देगा आदि शब्द कलम के सिपाही की कलम से उक्त जाति सूचक निकलते शब्द जहाँ एक ओर कलम पर पक्षपात का आरेप बन रहे हैं तो वही मा०उच्चतम न्यायालय के उस आदेश की पूरी अवहेलना हो रही है जिसमें राजनीतिक पार्टियों एंव उनके प्रत्याशियों तथा किसी भी प्रकार से जाति और धर्म के आधार पर प्रचार एंव प्रसार की पूरी तरह पाबंधी है! सबाल यह नही कि कलम के सिपाही का लेखन क्या है सबाल यह है कि कलम के सिपाही का लेखन क्षेत्र के एक मात्र विशेष प्रत्याशी के लिए ही क्यूँ जबकि क्षेत्र एक से कई अधिक पार्टियो के ही नही बल्कि निर्दलीय प्रत्याशियों का भी चुनाव लड़ना तय हो रहै है!

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