इलाहाबाद – शहर पश्चिमी सीट पर सपा – भाजपा में सीधी टक्कर
अभिजीत सिंह
इलाहाबाद – उत्तर प्रदेश चुनाव में इलाहाबाद का महत्व किसी से नहीं छुपा है। इसी शहर की सबसे चर्चित और बड़ी विधानसभा सीट शहर पश्चिमी सीट पर अब लड़ाई रोमांचक दौर में पहुँच चुकी है। अब तक समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी ऋचा सिंह क्षेत्र में लगातार बढ़त बना रही थी। इसका सबसे बड़ा कारण क्षेत्र के लोगो में अपने विधायक के प्रति रोष भी बताया जा रहा है।
उनका आरोप है कि वो जितने के बाद कभी क्षेत्र में नहीं दिखी है। वही दूसरे तरफ बीजेपी ने अपने सबसे बड़े चेहरे सिद्धार्थनाथ सिंह को मैदान में उतारा है। जो बीजेपी के राष्ट्रिय सचिव और प्रवक्ता भी है। इसके साथ ही वो पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के पार्टी प्रभारी भी है। इस कारण अब ये सीट वीआईपी हो चुकी है। ऋचा सिंह और सिद्धार्थनाथ दोनों ही साफ़ सुथरी छवि के पढ़े लिखे नेता है। ऐसे में अब दोनों की सीधी टक्कर के आसार बन चुके है। बतादे की ऋचा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें लक्ष्मीबाई वीरता पुरूस्कार से सम्मानित भी हो चुकी है। ऐसे में दोनों ही इस सीट पर अपना – अपना दावा ठोक रहे है। इस सीट पर अल्पसंख्यक वोटर 85 हजार है जो निर्णायक भूमिका में है। इसके अलावा लगभग 65 हजार मतदाता पिछड़ी जाति के है। इसलिए सपा इस सीट पर खुद को ज्यादा मजबूत महसूस कर रही है। क्योंकि इलाहाबाद का इतिहास रहा है यहाँ अब तक चुनाव वाही जीतता है जो जातिगत समीकरणों को साध लेता है।इसके साथ ही ऋचा सिंह खुद को शहर की बेटी बताकर और अखिलेश यादव के 5 सालो के काम को आधार बनाकर वोट मांग रही है, तो वही बीजेपी अब भी मोदी मैजिक होने की वकालत कर रहे है। ये सीट अब दोनों ही पार्टी के लिए सम्मान की बात बन चुकी है। ऋचा सिंह लगातार खुद को धनबल और बाहुबल के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात कर रही है।
उनका आरोप है कि वो जितने के बाद कभी क्षेत्र में नहीं दिखी है। वही दूसरे तरफ बीजेपी ने अपने सबसे बड़े चेहरे सिद्धार्थनाथ सिंह को मैदान में उतारा है। जो बीजेपी के राष्ट्रिय सचिव और प्रवक्ता भी है। इसके साथ ही वो पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के पार्टी प्रभारी भी है। इस कारण अब ये सीट वीआईपी हो चुकी है। ऋचा सिंह और सिद्धार्थनाथ दोनों ही साफ़ सुथरी छवि के पढ़े लिखे नेता है। ऐसे में अब दोनों की सीधी टक्कर के आसार बन चुके है। बतादे की ऋचा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें लक्ष्मीबाई वीरता पुरूस्कार से सम्मानित भी हो चुकी है। ऐसे में दोनों ही इस सीट पर अपना – अपना दावा ठोक रहे है। इस सीट पर अल्पसंख्यक वोटर 85 हजार है जो निर्णायक भूमिका में है। इसके अलावा लगभग 65 हजार मतदाता पिछड़ी जाति के है। इसलिए सपा इस सीट पर खुद को ज्यादा मजबूत महसूस कर रही है। क्योंकि इलाहाबाद का इतिहास रहा है यहाँ अब तक चुनाव वाही जीतता है जो जातिगत समीकरणों को साध लेता है।इसके साथ ही ऋचा सिंह खुद को शहर की बेटी बताकर और अखिलेश यादव के 5 सालो के काम को आधार बनाकर वोट मांग रही है, तो वही बीजेपी अब भी मोदी मैजिक होने की वकालत कर रहे है। ये सीट अब दोनों ही पार्टी के लिए सम्मान की बात बन चुकी है। ऋचा सिंह लगातार खुद को धनबल और बाहुबल के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात कर रही है।
Is bar Samajwadi Party Jetegi Is Seat Ko