दिमागी बुखार के नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी की गयी एडवाईज़री

जिले में स्थापित किया गया संक्रामक रोग नियंत्रण कक्ष

सुदेश कुमार

बहराइच 28 जून। जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव के निर्देश पर मुख्य चिकित्साधिकारी के शिविर कार्यालय पर संक्रामक रोग नियंत्रण कक्ष की स्थापना की दी गयी है जिसका दूरभाष नम्बर 05252-232417 है। यह जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी डा. ए.के. पाण्डेय ने बताया कि संक्रामक रोग नियंत्रण कक्ष चैबिसों घण्टे (राउण्ड-द-क्लाक) संचालित रहेगा। सीएमओ ने आमजन से अपील की है कि 02 दिवस तक लगातार बुखार आने पर रक्त की जाॅच अवश्य करायें और नीम हकीम के चक्कर में न पड़ते हुए तत्काल अपने नज़दीकी सरकारी अस्पताल से इलाज करवायें।

मुख्य चिकित्साधिकारी डा. ए.के. पाण्डेय ने ए.ई.एस./जे.ई. (दिमागी बुखार) के नियंत्रण के लिए आमजन से अपील की कि दिगामी बुखार का टीका अवश्य लगवायें, मच्छर मारने के धुएं के छिड़काव (फागिंग) के समय घर के खिड़की दरवाजे़ खुले रखें, मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी व मच्छर अगरबत्ती आदि का प्रयोग करें, पूरे बाॅह की शर्ट एवं फुल पैंट एवं पैरों में मोज़ा पहने, सुअरों को घर से दूर रखें, उनके बाड़ों को साफ सुथरा रखें एवं जाली लगाएं, पीने के लिए इण्डिया मार्का-2 हैण्डपम्प के पानी का प्रयोग करें, पक्के व सुरक्षित शौचालय का प्रयोग करें, शौच के बाद व खाने के पहले साबुन से हाथ अवश्य धोएं।

 सीएमओ डा. पाण्डेय ने बताया कि नाखूनों को काटते रहें क्योंकि लम्बे नाखूनों से भोजन बनाने व खाने से भोजन प्रदूषित होता है, भोजन ढक कर रखें, फल एवं सब्ज़ी धोने एवं छीलने के बाद खाएं, पीने के पानी को यदि इकट्ठा रखते हैं तो उसमें किसी को हाथ न डालने दें बल्कि स्वच्छ हैण्डिल लगे मग का प्रयोग करें। दिमागी बुखार के मरीज़ को दाएं या बाएं करवट लिटायें और यदि तेज़ बुखार हो तो पानी से बदन पोछते रहे।

सीएमओ डा. पाण्डेय ने लोगों को सुझाव दिया है कि मरीज़ को पीठ के बल न लिटायें, बेहोशी व झटके की स्थिति में मरीज़ के मुहॅ में कुछ न डालें, घर के आस-पास गन्दा पानी इकट्ठा न होने दें, इधर-उधर कूड़ा-करकट व गन्दगी ने फैलाएं, खुले मैदान या खेतों में शौच न करें, 40 फिट से कम गहराई के हैण्ड पम्पों का पानी न पीयें, तालाब या पोखरों के पानी को नहाने या मुॅह धोने के लिए भी प्रयोग न करें, झोलाछाप चिकित्सकों के पास न जायें तथा तालाब या पोखरों में जलकुम्भी या अन्य पौधे पैदा न होने दें।

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