सायकल लेकर चला गया भतीजा, पैदल चले चाचा
(जावेद अंसारी/अनुपम राज)
साइकिल लेकर भाग गया भतीजा।
जैसे ही चुनाव आयोग ने पार्टी की घोषणा की, शिवपाल खेमे मे मायूसी छह गई, वैसे इसकी सूचना शिवपाल खेमे को दोपहर को ही लग गई थी, कि उन्हे साइकिल नहीं मिल रही है, अभी तो उन्होने मुलायम सिंह को इसलिए मना लिया है कि मुलायम सिंह चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अपने बेटे के खिलाफ कब तक वह खड़े रहेंगे, दो-चार दिन से ज्यादा नहीं,शिवपाल भी अखिलेश को अंतत: स्वीकार कर लेंगे, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए 31 दिसंबर आज है, (कहे तो नया साल) आज वे रात भर हुड़दबंग करते नज़र आए, जैसे ही चुनाव चिह्न सायकिल मिलने की सूचना आई, अखिलेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर मुहर लगी, सारे अखिलेश समर्थक खुशी से झूम उठे, चारो तरफ खुशी का माहौल बन गया, मिठाइयाँ बटने लगी, एक दूसरे को इस जीत के लिए लोग मुबारकबाद देने लगे, खुशी का इजहार करने लगे।
मुलायम ने अपना सब कुछ दे दिया अखिलेश को।
सपा मुखिया मुलायम सिंह ने आज से 15 दिन पहले ही यह कहा था कि मैंने अपना सब कुछ अखिलेश को दे दिया, अखिलेश के परिवार वाले ने इससे पहले भी कहा था हमारा अखिलेश बहुत जिद्दी हैं वो हमेशा अपनी जीद पर अड़ा रहता है, हालांकि कि कुछ ऐसा ही हुआ, वाक्यतन मुलायम सिंह से सब कुछ दे दिया, जिसकी पुष्टि आज निर्वाचन आयोग के आदेश के बाद हो गया, चुनाव चिह्न सहित पूरी पार्टी अखिलेश की हो गई, सिर्फ इतना ही नहीं, उनके ही कारण आज इस प्रदेश के बूढ़े, बच्चे, जवान सभी अखिलेश के पक्ष मे खड़े हैं, सभी एक सुर से उनके कामों की तारीफ कर रहे हैं, उत्तर प्रदेश की गलियों गलियों में हर व्यक्ति के जुबान पर एक चर्चा का विषय, पापा कहते है बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा, एक तरह से अपने पुत्र को उन्होने इतना सबल बना दिया कि अब कोई भी विरोधी उनका मुक़ाबला नहीं कर सकता है, पाँच साल उन्होने विकास की जो सबसे लंबी रेखा खीची थी, उसको छूने की कोई चेष्टा नहीं कर सकता है, (ये हम नही उत्तर प्रदेश की जनता कह रही है, उनके इस कदम से न चाहते हुये मीडिया रात-दिन केवल अखिलेश और मुलायम को ही दिखाता रहा, सभी प्रेस वाले अपनी स्टोरी मे इसे ही अपने कथ्य का माध्यम बनाते रहे।
मुलायम ने दिया पुत्र अखिलेश को आशीर्वाद।
चुनाव आयोग द्वारा आए आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने पिता एवं समाजवादी पार्टी के संस्थापक से मिलने गए, चरण स्पर्श करते समय उनकी आंखो मे आँसू थे, भावुक पुत्र को देख कर पिता भी भावुक हो उठे, उनके भी आँखें भर आई, उन्होने अखिलेश को आशीर्वाद दिया, मुलायम और अखिलेश की बातचीत के बीच सीएम के सरकारी आवास 5 केडी के बाहर आतिशबाजी कर रहे समर्थकों कोअखिलेश का सन्देश दिया गया कि आज खुशी मनाएं और कल से जी-जान से जुटें, सबको घर जाने को कहा गया, मंगलवार को सुबह 10 बजे पार्टी कार्यालय पर अखिलेश यादव पहुचेंगे, हालांकि उत्तर प्रदेश मे सभी विपक्षी दल इस बात का कयास लगा रहे थे कि समाजवादी पार्टी का चुनाव चिह्न सीज हो जाएगा, तो उन्हे इसका फायदा मिलेगा, इसलिए वे इस बात की बड़े ज़ोर-शोर से चर्चा कर रहे थे, लेकिन जैसे ही चुनाव आयोग के निर्णय की खबर विपक्षी दलों को लगी, उनके चेहरे का नूर चला गया, जो अखिलेश यादव ने पहली जीत हासिल कर ली थी।
नही दे पाए आयोग को हलफनामा मुलायम।
चुनाव आयोग के फैसले में खुलासा हो रहा है कि साइकिल निशान के लिए मुलायम सिंह यादव ने अपनी ओर से चुनाव आयोग के मांगने पर हलफनामा दिया ही नहीं,एक हलफनामा मुलायम की ओर से दिया गया लेकिन न तो शिवपाल यादव ने, न ही अमर सिंह ने, अमर सिंह तो पहले ही विदेश चले गए जाने से पहले उन्होंने ने मिडिया को बताया कि मेरा लंदन का ईलाज चल रहा है और मैं अपना इलाज कराने जा रहा हूँ , अब चुनाव बाद लौटूंगा, साइकिल निशान के लिए अखिलेश ने 4 हजार 716 हलफनामा पेश किए जिससे साफ था कि पार्टी पर अखिलेश की जबर्दस्त पकड़ बनी हुई है, अखिलेश के समर्थन में 228 में से 205 विधायकों ने, 68 में से 56 विधान पार्षदों ने, 24 में से 15 सांसदों ने, 46 में से 28 राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों ने, 5731 में से 4400 प्रतिनिधियों ने अखिलेश के समर्थन में हलफनामा दिया जिससे पार्टी पर अखिलेश का दबदबा चुनाव आयोग में साबित हुआ, चुनाव आयोग के सामने उन्होंने ये भी कहा कि पार्टी में कोई विवाद नहीं है, मुलायम सिम्बल की लड़ाई हार गये हैं, अब अखिलेश का मतलब ही समाजवादी पार्टी है, एक जनवरी को अखिलेश को अध्यक्ष बनाने के बाद झगड़ा चुनाव आयोग पहुंच गया था।
दो चुनौतियों के लिए रणनीति बनाने में जुटे अखिलेश।
अखिलेश यादव खुशियाँ मनाने के बजाय दूसरी दो चुनौतियों के लिए रणनीति बनाने मे जुट गए हैं, पहली चुनौती कांग्रेस और रालोद के साथ गठबंधन की है, इसके लिए आज ही रात को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एवं अजीत से फोन पर बात करेंगे और सब कुछ तय कर लेंगे, कल शाम से पहले वे इस समझौते का हर हाल मे हल निकाल लेंगे, दूसरी चुनौती टिकट बटवारे को लेकर है, इसके अलावा रात के अंधेरे मे कुछ पार्टी के नेता शिवपाल-शिवपाल, अखिलेश-अखिलेश खेल रहे थे, उन्हे भी सबक सिखाना है, उन्हे भी बख्शने के मूड मे नहीं है, इसका भी एक खाका उनके दिमाग मे पहले ही तैयार है,बस उसे अंतिम रूप देना है, अब अखिलेश पार्टी कांग्रेस और दूसरे छोटे दलों के साथ गठबंधन की राह पर निकल पड़े हैं, इससे पहले सीएम ने अपने पिता मुलायम सिंह के आवास पर जाकर लंबी मुलाकात की,विधानसभा चुनाव का पहला चरण के लिए नामांकन काम मंगलवार से शुरू हो रहा है, अखिलेश खेमे के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि समय पहले काफी निकल चुका है, हम लोगों को साइकिल मिलने का पूरा भरोसा था, अब जल्द प्रत्याशी घोषित हो जाएंगे, चुनाव प्रचार के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश और कांग्रेस के बड़े नेता प्रचार के लिए निकलेंगे।
यूपी का नही देश का चुनाव है, लालू।
चुनाव आयोग का फैसला सुनते ही लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर कहा, अखिलेश यादव को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने के लिए लालू यादव ने अपने बेटे तेजस्वी यादव के साथ प्रचार करेंगे, अखिलेश के नेतृत्व में विकासशील, प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष एवं न्यायप्रिय सरकार बननी तय, सब एकजुट है, हम सब मिलकर साम्परदायिक ताकतों को हराएंगे, ये यूपी नही देश का चुनाव है, अब यूपी में फासीवादी व फिरकापरस्त ताकतों की हार पुर्णत: निश्चित, (बधाई) समाजवादी पार्टी सब एकजुट, सब पहले जैसा, नेता जी की बनाई हुई पार्टी है, नेता जी अपना आशीर्वाद अखिलेश को देंगे, भाजपाई हाथ मलते रह गए, आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश में सात चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 11 फरवरी को शुरू होगा, और मतगणना 11 मार्च को की जाएगी, कुल मिलाकर अब देखना ये है के जनता के मसीहा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आने वाले विधानसभा सभा में उत्तर प्रदेश की कितनी सीटों के दावेदार होते है।