आयतुल्लाह ज़कज़की की रिहाई की मांग कर रहे मुसलमानो पर नाइजीरियाई पुलिस की अंधाधुंध फायरिंग 43 हताहत और घायल
आदिल अहमद
नाइजीरिया की जेल में क़ैद इस देश के वरिष्ठ शिया धर्मगुरू आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की की रिहाई की शांतिपूर्ण तरीक़े से मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर एक बार फिर नाइजीरियाई पुलिस ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई हैं।
तसनीम समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरियाई पुलिस ने इस देश के शिया मुसलमानों को एक बार फिर निशाना बनाते हुए उनपर अंधाधुंध फ़ायरिंग की है और वह भी केवल इसलिए कि वे अपने वरिष्ठ धर्मगुरू आयतुल्लाह शेख़ इब्राहीम ज़कज़की, जो ढाई वर्षों से बिना किसी जुर्म के नाइजीरिया की जेल में क़ैद हैं, उनकी रिहाई की शांतिपूर्ण ढंग से मांग कर रहे थे।
दूसरी ओर नाइजीरिया की पुलिस ने घोषणा की है कि आयतुल्लाह ज़कज़की के समर्थन में होने वाला हर प्रदर्शन और रैली, इस देश की शांति के लिए ख़तरा है और उसको देश के ख़िलाफ़ विद्रोह माना जाएगा। नाइजीरियाई पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि सभी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
नाइजीरियाई मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक़, सोमवार को नाइजीरिया के कादूना शहर में आयतुल्लाह ज़कज़की के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन पर पुलिस ने आक्रमण कर दिया। नाइजीरियाई पुलिस की गोलीबारी में 2 प्रदर्शनकारियों की मौक़े पर ही मौत हो गई जबकि 40 प्रदर्शनकारी गंभीर रूप से घायल हुए हैं, घायलों में कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है जबकि कुछ घायलों को पुलिस उठाकर अज्ञात स्थान पर लेकर गई है।
इस बीच नाइजीरियाई पुलिस ने दावा किया है कि प्रदर्शनकारियों के पास हथियार और चाकू थे और उन्होंने एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी है। यह दावा ऐसी स्थिति में पुलिस कर रही है कि आयतुल्लाह ज़कज़की के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन की कई वीडियो और फ़ोटो सामने आई है और किसी भी वीडियो और फ़ोटो में पुलिस के दावे की पुष्टि नहीं हो पाई है। जबकि दूसरी ओर वीडियो और फ़ोटो
में यह साफ़ दिखाई दे रहा हि कि नाइजीरियाई पुलिस निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा रही है।
उल्लेखनीय है कि नाइजीरिया के इस्लामी आंदोलन ने भी पुलिस के दावे को ख़ारिज करते हुए उसको निराधार और झूठा बताया है। इस्लमी आंदोलन के बयान में आया है कि इस देश के वरिष्ठ धर्मगुरू आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की की रिहाई के लिए निकाली गई रैली पूरी तरह से शांतिपूर्ण थी और प्रदर्शनकारियों ने कोई हिंसक कार्यवाही अंजाम नहीं दी है।