तारिक आज़मी की मोरबतिया – नगर आयुक्त जी, मछोदरी क्षेत्र में गन्दगी के ढेर पर रहने वाले कह रहे है, हम भी इंसान है
तारिक आज़मी
वाराणसी. हमारे प्रदेश की एक कहावत, हमारे काका कहते रहे है अक्सर कि बतिया है कर्तुतिया नाही, मेहर है घर खटिया नाही. ता भैया अब बतिया तनिक समझ आई है काहे की खटिया का जमाना खत्म हो गया है, और ई तो जग जाहिरे है कि भैया हम बस बतियाते है. हम पहले ही आप सबका बता देते है कि हम बतिया करेगे अब का करे बतिया करने से समस्याएं भी हल हो जाती है मगर हम कैसे हल कर देंगे ? समस्या जब विकराल हो। तो भैया हम तो पहले ही कह देते है साफ़ साफ़ कि हम खाली बतियाते है, अब किसी को अगर इ बतिया से बुरा लगे तो न पढ़े भाई हम कोई जोर जबरदस्ती तो कर नहीं रहे है कि पढ़बे करो साहेब। तो साहेब बतिया शुरू करते है और बतिया की खटिया बिछा लेते है.
तो भैया बतिया यहाँ से शुरू करते है कि देश में स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है. वह भी हमारे प्रधानमंत्री के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा है. जैसे प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत का नारा दिया वैसे ही लोगन हाथ में झाड़ू लेकर सड़क पर झाड़ू लगाते फोटो खिचवाने लगे, काम धाम का साहब छपास रोग के कारण जब तक कैमरा चमकता रहता है तब तक तो एक ही कूड़ा को फैला फैला के बार बार उसको साफ़ करते है. खैर साहब इसको छोडिये कोई अपनी आदत तो बदल नहीं सकता है. मगर हमारे सरकारी अधिकारी भी अगर सफाई से आँख मोड़ ले तो क्या होगा.
आज हम आपको लेकर चलते है आदमपुर ज़ोन के मछोदरी कुड़ेखाने पर. कहने को तो सरकार के धन से इसका निर्माण हुआ है. बड़ा सा कुड़ेखाना बना है और इसके दरवाज़े भी लगे है जिससे गन्दगी सड़क पर न रहे मगर फोटो में आप देख सकते है कि किस तरह से कूड़ा सड़क पर पड़ा है. वह भी थोड़ी दूर नहीं बल्कि पूरी सड़क पर. यह गन्दगी सड़क पर रोज़ का काम है पड़ी रहती है. क्षेत्रीय नागरिको ने बताया कि पुरे इलाके से कूड़े उठा कर यहाँ एकत्रित किया जाता है और फिर छोड़ दिया जाता है जब सड़क पूरी तरह से कूड़े से पट जाती है और कूड़े डालने की जगह नहीं बचती तो फिर गाडी मंगवा कर इसको आधा तीहा साफ़ कर दिया जाता है. मौजूदा हालात में यहाँ कूड़ा पिछले दस दिनों के लगभग से पड़ा है. इसके तरफ से ज़िम्मेदार अधिकारी अपनी आँखे बंद करके पड़े रहते है. क्षेत्र की सफाई का बीड़ा उठाये अधिकारी कभी झाकने नहीं आते है.
अब भैया बतिया ये है कि हम तो पहले कहा था कि हम खाली बतियाते है कऊनो काम धाम नहीं कर सकते है. अब समस्या ये है कि क्षेत्र की जनता तो नाक बंद करके इधर से गुज़र जाती है मगर आस पास रहने वाले तो इस गन्दगी से जीना दूभर अपना किये पड़े है मगर फिर भी कर का सकते है जब अधिकारी कुछ देख ही नहीं रहे है. अब हम तो पहले ही कहा था कि हम का कर सकते है. हां मगर अगर नगर आयुक्त चाहे तो बहुत कुछ कर सकते है. तो भैया बतियाना बंद करते है अब आप खुदे सोचे और लिखे की इस क्षेत्र में रहने वाले गरीब जनता का क्या होता होगा. कमेन्ट बाक्स आज भी खाली है आप जो चाहे लिख सकते है अब आपकी मर्ज़ी नहीं तो स्वच्छ भारत के लिये लिख दे कि पान खाकर थूकना मना है.