पशु अस्पताल सिकंदरपुर में सुविधाओं का टोटा

मु० अहमद हुसैन / जमाल

प्राइवेट डाक्टरो को भेजकर पशु पालको का किया जाता है दोहन
सिकंदरपुर (बलिया)। केंद्र व प्रदेश सरकार पशुपालन के लिए जहां करोडो रुपये खर्च कर योजनाओं को प्रोत्साहित कर पशुपालन में बृद्धि करने का काम कर रही है। वहीं धरातल पर सरकार की योजनाओं को मूर्त रुप देने में अभी कई सालों लगेंगे।जिसका प्रमाण यह काफी है कि गत शनिवार को गंगकिशोर गांव में एक भैंस को बिजली ने अपनी चपेट में ले लिया जिसने डॉक्टर के अभाव में दम तोड़ दिया।

 पशुपालक ने बताया कि उसकी भैस को बिजली के करेंट ने अपने आगोश में तो ले लिया जिसके इलाज के लिए पशु चिकित्सालय पर डॉक्टर न होने से उसकी मौत हो गई। सरकार द्वारा पशुपालन विभाग में अस्पतालों पर निःशुल्क दवा व कई योजनाएं पशुपालकों के लिए चलाई गई है जिसके तहत पशुपालको के घर-घर जाकर टीका लगाना व उन्हें सरकार द्वारा प्रदत्त निःशुल्क दवाओं को वितरित करने का निर्देश है। वही अस्पतालों में कार्यरत डाक्टरो को सप्ताह में दो दिन गांव में भ्रमण का समय निर्धारित किया गया है। बावजूद इसके राजकीय पशु चिकित्सालय सिकन्दरपुर पर सुविधाओ का अभाव है। यंहा न तो पशुपालको को निःशुल्क दवा दी जाती और सस्ते दर 30 रुपये पर मिलने वाले सिमन की जगह 100 से 150 रुपये लिए जाते है। वही पशुपालको के घर प्राइवेट डाक्टरो को भेजकर पशुपालको का दोहन किया जाता है।

 जिला पंचायत सदस्य रवि यादव व पशुपालक चन्द्रमा यादव, वीर बहादुर वर्मा, राहुल राय सहित दर्जनों पशुपालको ने डॉक्टर की अनुपस्थिति का आरोप लगाते हुए कहा कि डॉक्टर केवल सप्ताह में दो ही दिन उपलब्ध होते है। उन्होंने उच्चाधिकारियों से इसकी जांच करने की मांग किया तथा सरकार द्वारा निःशुल्क दवा का वितरण करने व 30 रुपये पर ही सिमन पशुपालको को देने की मांग किया है। वही भाजपा के मंडल अध्यक्ष अरविंद कुमार राय ने बताया कि सरकार अस्पतालों पर सभी सुबिधा मुहैया करा रही है लेकिन डाक्टरो की लापरवाही व उनकी अनुपस्थिति से योजनाओ का क्रियान्वयन नही हो पा रहा है।

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