संगम नगरी के 34 बड़े नाले नवम्बर तक सेल्फी प्वाइंट में होंगे तब्दील: चिदानन्द सरस्वती

मो आफताब फ़ारूक़ी

इलाहाबाद । संगमनगरी के 34 बड़े नाले तीस नवम्बर तक सेल्फी प्वाइंट में तब्दील होने के साथ गंगा में स्वच्छ जल का प्रवाह शुरू हो जायेगा। उक्त जानकारी शनिवार को मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज में आयोजित कुम्भ कॉन्क्लेव दूसरे दिन तकनीकी सत्र में स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने दी।
उन्होंने कहा कि नीदर लैण्ड में जिस तरह नालों व नदियों के पानी का सदउपयोग किया जा रहा है। उसी तकनीकी का उपयोग करके श्रृषिकेश में पांच दिन के अन्दर गंगा में गिर रहें नाले के दूषित पानी रोकने साथ ही एक सेल्फी प्वाइण्ट बना दिया गया। ठीक उसी तर्ज पर संगम नगरी के 34 बड़े नालों के गंदे पानी गंगा में जाने रोकने के साथ ही सुन्दर एवं मनोरम दृश्य बनाये जाने की योजना का शुभारम्भ अतिशीघ्र कर दिया जायेगा।
कुम्भ पर प्रयाग में हो रहे मंथन किया जा रहा है, यह पहले एवं बाद में सदयों से चर्चा होने की हमारे देश की परम्परा है। कुम्भ पर मंथन जारी रहेगा। गंगा में आस्था रखने वाली सरकार एवं गंगा के लिए सोचने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगतार प्रयास कर रहें है। 245 करोड़ की योजना ग्रैण्ड में है। लेकिन हमसब को मिलकर ग्राउण्ड प्ले पर वातारण बनाने के साथ गंगा का भक्त बनकार काम करने की जरूरत है। गंगा ने मुझे बुलाया है हमें कुछ गंगा के लिए करना है। यही सोंच सभी को अपने मन में बनाना पड़ेगा। नालों को रोकने की योजना के तहत सितम्बर माह में प्रत्येक तीसरे दिन एक नाला रोकने का संकल्प लेना है। हम सभी को मिलकर अतिथि देवो भव के भाव से करोड़ो श्रद्धालुओं का ऐसा स्वागत करें कि विश्व में अबतक सबसे भव्य कुम्भ बनाने में सभी प्रयाग वासी सहयोग करें।
मां गंगा के प्रति सच्ची श्रद्धा पर बोलते हुए पूर्वांचल विश्व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव ने कहा कि मंा गंगा गुलाब के फूल और मिट्टी से निर्मित मूर्तियों से गंदी नहीं होती है। गंगा ही नहीं देश की सभी नदियों का पानी औद्योगिक इकायों से निकलने वाले दूषित पानी से सबसे अधिक गंदा हो रहा है। सरकार को चाहिए की सबसे पहले ऐसा कड़ा कानून बनाया जाय और उसे लगू कर सबसे पहले जहरीले पानी को गंगा में जाने से रोका जाय।
उन्होंने ने मेडिकल के छात्रों को एक संदेश दिया कि गंगा के जल से कितने प्रकार की औषधियां तैयार की जा सकती है इस पर सोध किया जाना चाहिए। जिससे पूरे विश्व में गंगा के प्रति आस्था और उनके प्रति विदेशी वैज्ञानिकों का ध्यान जाय। औषधियांे के उत्पादन से मां गंगा के प्रति पूरे विश्व में श्रद्धा बड़ेगी। एक नया उद्योग पनपेगा।
कुम्भ कॉन्क्लेव में सम्बोधित करते हुए समाज सेवी संजय पासवान ने कहा कि जल जंगल जमीन एवं जानवरों की सुरक्षा से देश ही नहीं विश्व में समृद्धि आयेगी। गंगा की सुरक्षा के लिए समाज को आगे आना पड़ेगा और एक साथ मिलकर सभी की सुरक्षा करना पड़ेगा। जिसके परिणाम स्वरूप मानव जीवन सुरक्षित करने में अदितीय योगदान गंगा का रहेगा।
इसी तरह भाजपा नेता राकेश त्रिपाठी, प्रो. प्रमोद शर्मा एवं आज की संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे पूर्व न्यायमूर्ति गिरधर मालीय ने गंगा व कुम्भ पर अपने विचार रखा।

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