जिसका पुत्र नही होता व निपुत्री कहलाता है – पंडित जितेन्द्र नरायण शुक्ल शास्त्री “पारस जी “
चंद्र प्रताप सिंह बिसेन/बलिया
बलिया :- बिल्थरा रोड तहसील क्षेत्र के हल्दीरामपुर मे श्रीलालमणि ऋषि ब्रम्ह बाबा के स्थान पर हो रहे श्रीमद् भागवत कथा के दुसरे दिन कथा वाचक पंडित जितेन्द्र नरायण शुक्ल शास्त्री “पारस जी ” ने आत्म देव ब्राह्मण व गोकर्धधुन्धकारी की कथा से प्रारम्भ करते हुए समाज मे व्याप्त धार्मिक भ्रम को सुधार करने का आह्वान करते हुए कहा कि समाज में भ्रम रहता है कि जिसका पुत्र नही होता व निपुत्री कहलाता है।
इस भ्रम की वजह से पुत्रियों (बेटियों) की उपेक्षा होती है। इस भ्रम को सुधार करते हुए पारस जी ने बताया कि पुराण कहते है। कि
इस भ्रम की वजह से पुत्रियों (बेटियों) की उपेक्षा होती है। इस भ्रम को सुधार करते हुए पारस जी ने बताया कि पुराण कहते है। कि
“पुत्रों नाज्यि पुत्री वा स:विपुत्री इति कश्यते”
अर्थात् जिसके पुत्र या पुत्री कोई न हो वो निपुत्री होता है। इस लिये बेटी को बेटे के समान समझना चाहिए।
बेटा है कुल का दीप तो बाती है बेटीया।
सम्मान अपने कुल का बढाती है बेटीया।
गीत सुनकर भक्ति को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ भक्तो को सीख लेनी चाहिये। साथ ही उन्होने बताया कि परमात्मा पर पूर्ण विश्वास व समपर्ण ही कल्याणकारी है।
आज यजमान के रुप मे सी पी सिंह बिसेन , कालिन्दी सिंह, संतोष सिंह, संगीता सिंह ने आचार्य के दिशानिर्देश मे पुजा कराया। इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक सी पी सिंह बिसेन, सहयोगी गुडडु स्वामी, संतोष सिह, अनिल कुमार सिंह शिवशंकर प्रसाद, श्रीराम तिवारी, उमेश गिरी, कालिन्दी सिंह, मन्जू सिंह आदि रहे।