बाल गृह के बच्चों की मौत से उबाल, प्रदर्शन

कनिष्क गुप्ता

इलाहाबाद : राजकीय बाल गृह में सात मासूमों की मौत को लेकर शहर के लोगों में जबरदस्त उबाल है। मंगलवार को भी कई राजनैतिक दलों और संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान निष्पक्ष जांच कराकर दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई।

समाजवादी पार्टी महानगर इकाई की ओर से सिविल लाइंस के सुभाष चौराहा पर राजकीय बाल गृह में सात बच्चों की मौत और देवरिया नारी संरक्षण गृह में शोषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बांह पर काली पट्टी बांधकर और काली तख्ती पर सरकार के खिलाफ स्लोगन लिखकर प्रदर्शन करने वाले सपा कार्यकर्ताओं ने शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की। इस दौरान कैंडल भी जलाया गया। प्रदेश प्रवक्ता ऋचा सिंह ने महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी तथा स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह से इस्तीफे की मांग भी की। महानगर अध्यक्ष सैय्यद इफ्तेखार हुसैन ने कहा कि बच्चों की मौत में दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। जांच में खेल किया गया तो सपा आंदोलन करेगी। प्रदर्शन करने वालों में एमएलसी बासुदेव यादव, योगेश यादव, जमाल अफजल, मो.अस्करी, अब्बास नकवी, महावीर यादव आदि शामिल रहे।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खुल्दाबाद स्थित राजकीय बाल गृह के गेट पर प्रदर्शन पर मासूमों की मौत के मामले में निष्पक्ष जांच के साथ दोषी लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाए। दूसरी ओर करछना से सपा विधायक उज्ज्वल रमण सिंह ने कहा कि बाल गृह के बच्चों की मौत और देवरिया बालिका गृह में शोषण का मामला उनकी पार्टी विधानसभा में उठाएगी।

राजकीय बाल गृह की बढ़ेगी व्यवस्था

राजकीय बाल गृह इलाहाबाद में प्रदेश के 25 जिलों से मासूम आते हैं। इलाहाबाद, वाराणसी व गोरखपुर रीजन के जिलों में लावारिस हालत में बच्चे मिलते हैं तो उन्हें सीधे इलाहाबाद भेज दिया जाता है। डीएम सुहास एलवाई ने बताया कि मासूमों की मौत में उच्चस्तरीय जांच रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी में मासूमों को आवासित करने वाली संस्था काली सूची में चली गई है, इसलिए वाराणसी रीजन के 14 जिलों के बच्चे भी यहीं भेजे जाते हैं। इसके अलावा गोरखपुर रीजन के भी बच्चे यहां भेजे जाते हैं। इलाहाबाद रीजन के बच्चे तो यहां रखे ही जाते हैं। डीएम ने बताया कि मात्र 10 बच्चों को रखने की क्षमता है, जबकि यहां 32 बच्चे हैं। डीएम ने बताया कि इस बाल गृह में व्यवस्थाएं और स्टॉफ की संख्या बढ़ाने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

मजिस्ट्रेटी जांच भी होगी

बाल गृह के बच्चों की मौत के मामले में मजिस्ट्रेटी जांच भी कराई जाएगी। सिटी मजिस्ट्रेट को जांच सौंपी जाएगी। फिलहाल जिन सात बच्चों की मौत हुई है उनमें पांच की मजिस्ट्रेटी जांच शुरू हो गई है।

किशोरियों के भागने में बालिका निकेतन का पूरा स्टॉफ दोषी

खुल्दाबाद स्थित राजकीय बालिका निकेतन से भागी तीन किशोरियों की मजिस्ट्रेटी जांच में पूरा स्टॉफ दोषी पाया गया है। जांच में बालिका निकेतन के पूरे स्टॉफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की संस्तुति की गई है। किशोरियों ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में कहा है कि बालिका निकेतन में भारी अव्यवस्था है। समय पर नाश्ता और भोजन तक नहीं दिया जाता। यही नहीं परिवार के लोगों से मिलाई भी नहीं कराई जाती है। जरूरत के सामानों के लिए बजट आता है मगर वह भी उनको नहीं मिलता है। कुछ भी मांग करने पर उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है।

बताते हैं कि दोनों किशोरियां प्रेमी के साथ घर से भाग निकली थीं। बाद में प्रेमी पकड़े गए तो दोनों को नाबालिग होने के कारण राजकीय बालिका निकेतन में रखा गया। आठ जुलाई की रात जब सब नींद में हो गए तो दोनों किशोरियां फरार हो गईं। इसमें एक किशोरी लालापुर की रहने वाली है। उसे चार जुलाई 2018 को कोर्ट के आदेश पर बालिका निकेतन में रखा गया था। दूसरी लड़की को 14 मई 2018 को महिला शरणालय लाया गया था। हालांकि दोनों को दो दिन बाद इटावा में पकड़ लिया गया। तीसरी किशोरी जून में भागी थी। उसे चार दिन बाद शहर में ही पकड़ लिया गया।

किचेन के रास्ते भागी थीं बालिकाएं

बताते हैं कि बालिका निकेतन का स्टॉफ आठ जुलाई की रात में जब सो रहा था, तभी दोनों बालिकाओं ने किचेन में लगी खिड़की की सिटकनी तोड़ दी। फिर शीशा तोड़ने के बाद साड़ी व दुपट्टे को बांधकर तीन मंजिले से लटक कर नीचे उतरीं और फरार हो गई थीं। खुल्दाबाद थाने में उनके फरार हो जाने का मुकदमा दर्ज कराया गया था।

बारह पर कार्रवाई को दी रिपोर्ट

सिटी मजिस्ट्रेट अशोक कुमार कनौजिया को मजिस्ट्रेटी जांच सौंपी गई। जांच में पता चला कि लड़कियों के भागने में पूरे स्टॉफ की लापरवाही सामने आई है। इसीलिए सहायक अधीक्षिका, छह स्टॉफ और पांच महिला होमगार्ड के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इसकी रिपोर्ट डीएम व जिला प्रोबेशन अधिकारी को दे दी गई है।

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