किसान आर-पार की लड़ाई से नही हटेंगे पीछे : नीरज त्यागी

सरताज खान
गाजियाबाद। लोनी में मंडोला के आंदोलनरत किसानों ने 14 अगस्त को अधिग्रहित भूमि पर कब्जा लेने एवं आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है। प्रशासन ने किसानों के प्रतिनिधि मंडल को 18 अगस्त को वार्ता के लिए गाजियाबाद कलेक्ट्रेट सभागार में बुलाया है , लेकिन किसान धरना स्थल पर ही वार्ता करने की जिद पर अड़े हैं।
बता दें कि आवास विकास परिषद ने वर्ष 2010 में मंडोला विहार योजना के लिए मंडोला, नानू अगरौला, पंचलोक, नवादा एवं मिलक बामला गांव की 2614 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। जिसकी एवज में किसानों को 11 सौ रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजे का भुगतान किया गया है। जबकि करार की शर्तों के मुताबिक परिषद को 6 प्रतिशत विकसित भूमि प्रभावित किसानों को लौटानी हैं तथा उक्त गांव का संपूर्ण विकास भी कराना है। किसान मुआवजे की दर से संतुष्ट नहीं है।

मुआवजा बढ़ाने व अन्य मांगों को लेकर 2 दिसंबर 2016 से आंदोलनरत है तथा मंडोला में धरने पर बैठे हैं। कई बार आंदोलनरत किसान आमरण अनशन कर चुके हैं। अधिग्रहित भूमि पर कब्जे को लेकर परिषद के अधिकारियों एवं किसानों के बीच संघर्ष भी हो चुका है। किसानों एवं प्रशासन के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है। लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो सका है।गत 20 माह से चल रहे आंदोलन के बाद भी समस्या का समाधान ना होने के कारण किसान नाराज हैं।धरनारत किसानों ने इस बार आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है। धरने का नेतृत्व कर रहे मनवीर तेवतिया एवं नीरज त्यागी का कहना है कि अगर 13 अगस्त तक उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया तो 14 अगस्त को सभी किसान अधिग्रहित भूमि पर कब्जा लेने के लिए ट्रैक्टर चलाएंगे। किसानों की इस घोषणा से प्रशासन के हाथ पांव फूले हुए हैं। किसानों की इस घोषणा के बाद बुधवार को एसडीएम सत्येंद्र कुमार सिंह एवं सीओ दुर्गेश कुमार सिंह धरना स्थल पर मांडोला पहुंचे तथा किसानों के प्रतिनिधियों से बात कर उन्हें 18 अगस्त को वार्ता के लिए डीएम ऑफिस पहुंचने का प्रस्ताव दिया। किसानों ने वार्ता के जरिए समस्या का समाधान करने की बात पर तो सहमति जताई , लेकिन धरना स्थल पर ही वार्ता की शर्त रख दी। नीरज त्यागी का आरोप है कि शासन द्वारा गठित कमेटी से उनकी कई बार वार्ता हो चुकी है।

लेकिन किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। जिसको लेकर किसान अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे हैं।नीरज त्यागी का कहना है कि अगर अधिकारियों को वार्ता करनी है तो वह धरना स्थल पर आएं, वरना तो किसान भूमि पर कब्जा वापस लेंगे और आर-पार की लड़ाई से भी पीछे नहीं हटेंगे। वार्ता से ही समस्या का समाधान हो सकता है एसडीएम एसडीएम सत्येंद्र कुमार सिंह का कहना है कि किसानों की समस्या का समाधान शांतिपूर्वक वार्ता के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने शनिवार को धरना स्थल पर पहुंचकर किसानों को उच्च अधिकारियों से वार्ता के लिए 18 अगस्त गाजियाबाद डीएम ऑफिस आने का निमंत्रण दिया है।

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