2 दशकों से ज्यादा समय की बातचीत का नतीजा सामने आया, कैसिपयन सी की क़ानूनी स्तिथि के संबंद में हुआ ऐतिहासिक समझौता

आदिल अहमद

12 अगस्त 2018 को क़ज़्ज़ाक़िस्तान के बंदरहगाही शहर अक्ताओ में (बाएं से दाएं) आज़री, ईरानी, क़ज़्ज़ाक़, रूसी और तुर्कमन राष्ट्रपति क्रमशः इल्हाम अलीयोफ़, हसन रूहानी, नूरसुल्तान नज़रबाएफ़, व्लादमीर पूतिन और क़ुर्बानक़ुली बर्दीमुख़ामेदेफ़ कैस्पियन सी की क़ान

संसाधनों से समृद्ध कैस्पियन सी के 5 तटवर्ती देशों के बीच इस समुद्र की क़ानूनी स्थिति के संबंध में 2 दशकों से ज़्यादा समय तक चलने वाली बातचीत के नतीजे में रविवार को पांचों देशों ने एक ऐतिहासिक समझौते पर दस्तख़त किए।

इस समझौते पर रविवार को क़ज़्ज़ाक़िस्तान के बंदरगाही शहर अक्ताओ में पांचवें कैस्पियन सी शिखर सम्मेलन के समापन पर, ईरानी राष्ट्रपति डॉक्टर हसन रूहानी और उनके रूसी, आज़री, क़ज़्ज़ाक़ और तुर्कमन समक्षकों क्रमशः व्लादमीर पूतिन, इल्हाम अलीयोफ़, नूरसुल्तान नज़रबायेफ़ और क़ुर्बानक़ुली बर्दीमुख़ामेदेफ़ ने दस्तख़त किए।

कैस्पियन सी कन्वेन्शन 24 अनुच्छेदों पर आधारित दस्तावेज़ है जिसका सबसे अहम अनुच्छेद इस समुद्र में विदेशियों की सैन्य उपस्थिति और विदेशियों की सैन्य सामग्री के पारगमन का वर्जित घोषित होना है। इस कन्वेन्शन में इसी तरह इस बात पर बल दिया गया है कि कैस्पियन सी पर सभी तटवर्ती देशों का अधिकार है और बाहरी देशों को इस समुद्र में किसी तरह की सैन्य छावनी बनाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी।

कैस्पियन सी कन्वेन्शन सभी तटवर्ती देशों के इस समुद्र के संबंध में फ़ैसला करने के अधिकार को मान्यता देने के साथ साथ सभी तटवर्ती देशों की संप्रभुता पर बल देता है।

कैस्पियन सी कन्वेन्शन पर दस्तख़त से पहले ईरानी विदेश मंत्री मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने कैस्पियन सी के सभी तटवर्ती देशों के बीच एकता की सराहना करते हुए कहा था कि पांचों देशों के बीच “न सुलझे हुए मुद्दों” के संबंध में सहयोग जारी रहेगा।

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