सपा सियासी घमासान – अखिलेश के समर्थको ने दिखाया दम ख़म
(समीर मिश्रा)
लखनऊ. सपा के पारिवारिक कलह में जीत किसी की भी हो मगर यह बात आम जन तक को भी पता चल गई है कि समर्थको के मामले में अखिलेश किसी से पीछे नहीं है. बल्कि अगर यह कहा जाय कि अखिलेश के आस पास कोई भी समर्थको के मामले में नहीं है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. कल जैसे ही अखिलेश को पार्टी से निष्काषित किये जाने का समाचार आया वैसे ही अखिलेश समर्थक सडको पर उतर आये. प्रदेश में कई शहरों में अमर सिंह और यहाँ तक की शिवपाल के पुतले दहन कर दिए गए. यही नहीं समाचार आते ही अखिलेश के समर्थक उनके आवास के आसपास इकठ्ठा होना शुरू हो गए जिनकी संख्या रात के गहरे होने के साथ बढती ही रही कम नहीं हुई.
सियासी घमासान के बीच जैसे ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुलायम सिंह से मिलने पहुंचे तो सपा कार्यालय के बाहर अखिलेश और शिवपाल के समर्थक आपस में भिड़ गए। मौके पर मौजूद भारी संख्या में पुलिस बल ने किसी तरह हल्का बल प्रयोग कर हालात को काबू में किया। दोनों के समर्थकों ने इस दौरान एक दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। यहाँ यह बताना आवश्यक होगा कि इस नारेबाजी और आपसी तना तनी में अखिलेश के समर्थको की संख्या कही ज्यादा थी. यदि भारी पुलिस बल मौके पर नहीं होता तो यह समर्थक अपने नेता के पक्ष में उग्र भी हो सकते थी. समर्थन का यह हाल था कि कई समर्थक टॉप लेस होकर प्रदर्शन कर रहे थे. राजधानी क्या पुरे प्रदेश में हाड कपकपा देने वाली ठण्ड के बीच काफी समर्थक बिना शर्ट के ही सडको पर नारेबाजी करते दिखाई दिए. प्रशासन ने इस सम्बन्ध में बहुत ही धैर्य का परिचय देते हुवे समर्थको को समझा बुझा कर उनको कपडे पहनावाने का आग्रह भी किया गया.
बता दें कि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को सपा से 6 साल के सपा से निकाल दिया था। समर्थको की स्थिति का अंदाज़ इसी से लगाया जा सकता है कि सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के साथ प्रेसवार्ता करने पहुंचे मुलायम सिंह ने प्रेसवार्ता के दौरान जैसे ही इसका ऐलान किया वैसे ही अखिलेश के समर्थकों ने नारेबाजी और हंगामा काटना शुरू कर दिया है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बड़ा ऐलान किया था। निष्कासन के बाद अखिलेश के आवास पर समर्थकों की काफी भीड़ लगी रही. सब मिलकर यह कहा जा सकता है कि पार्टी में अखिलेश के समर्थको की शक्ति का अंदाज़ा पार्टी के उन नेताओ को भी लग गया जो अभी तक अखिलेश को कमज़ोर समझ रहे थे.