कहर बनकर जिनके ऊपर टूटी ये नदिया….

फारुख हुसैन

लखीमपुर खीरी। पहाड़ो पर लगातार हो रही बारिश के चलते नदियों का जलस्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है और नदियों लगातार  बाढ़ का रूप लेकर अपना कहर बरपा रहीं हैं कहीं गावों में पानी भरा है तो कहीं सड़को पर कहीं कटान हो रहा हैं तो कहीं पूरे के पूरे घर और खेत की जमीनें ही बाढ़ की बलि चढते दिखाई दे रही हैं परंतु इसकी रोकथाम कहीं नजर नहीं आ रहीं हैं शासन प्रशासन भी तभी आगे आता है जब तराई इलाको में बाढ़ की विनाश लीला शुरू हो जाती है हां यह जरूर देखा जा सकता है शासन प्रशासन कहीं न कही खाना पूर्ती करते जरूर दिखाई दे जाते है क्योंकि बाढ़ की रोकथाम और देने वाली सहायता में जमकर बंदरबाट कर सकें और इसी बाढ़ के लगातार हो रहे कहर के चलते लखीमपुर खीरी जिले के तहसील तिकोनियां,पलिया ,निघासन सहित लगभग तराई इलाकों  में स्थित क्षेत्रों में शारदा ,घाघरा,मोहना नदीयां बाढ़ की विनाश लीला फैला रही है और इसी मजबूरी में अब ग्रामीण

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र को छोड़कर  अन्य कहीं और ऊंचे स्थानों पर अपना आशियाना बनाने के लिये पलायन करने को विवश दिखाई देने लगे हैं।इस भीषण विनाश लीला के साथ ही बाढ़ पीडितों के जब परेशानी दिखाई देने लगी जब लखीमपुर जिले के तहसील निघासन को बरसो पूराना बंधा तेज बहाव के चलते टूट गया ।

बताया जा रहा हैं कि इस बंधा के टूटने से लगभग  दो दर्जन गांव प्रभावित होगें और यही नहीं ग्रामीणों का आरोप है कि इस छतिग्रस्त हो रहें ब॔धे को पुनः सही करवाने में भी जमकर घोटाला किया गया है ।दरअसल यह बांध निघासन क्षेत्र के गाँव रानीगंज में है जहां घाघी नाले पर बना बंधा प्रतिवर्ष बाढ़ के पानी में बहकर टूट जाया करता था,ग्रामीणों द्वारा चंदा एकत्र करके बंधे का निर्माण किया जाता था।परंतु तेज बहाव में यह बांध टूट जाया करता था।इस बात की जानकारी ग्रामीणों द्वारा जब आला अधिकारियों को दी गयी तब जिलाधिकारी ने मौके पर जाकर जांच की थी और फिर टूटे बांध के निर्माण के लिए सिचाई विभाग को बनाने के आदेश दिये।इस बंधे के निर्माण कार्य के लिये शासन ने नौ लाख रुपए स्वीकृत भी कर दिये थे और फिर सिंचाई विभाग ने जून माह में बंधे का निर्माण घटिया सामग्री का प्रयोग कर के सिर्फ डेढ़ किलोमीटर के स्थान पर बांध का सिर्फ डेढ़ सौ मीटर का ही निर्माण करवाकर खानापूर्ती कर ली थी और सिंचाई विभाग के द्वारा  बांध निर्माण के लिये आये रुपयों की कीमत नौ लाख रुपए बताई गयी हैं जब कि ग्रामीणों ने बताया कि सिर्फ एक हफ्ते में कुछ की पैसा खर्च कर के इसका जल्दी मे निर्माण करा दिया गया।प्रशासन ने बांध बनवाने में जमकर पैसो का बन्दर बाँट किया है और अब

इस बांध के टूटने से करीब दो सौ गाँव बाढ़ के पानी से प्रभावित हो रहे हैं यह सोचनीय विषय है कि इस बांध के टूटने से अब जो कहर  दो दर्जन गावों पर बरपेगा उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा कहां जायेगें ये बाढ़ पीडित कौन सुनेगा इनकी बेबसी की पुकार खद्दधारियों द्वारा सिर्फ जनता से झूठे वादे और प्रशासन से मिलकर खूब पैसो का बंदर बांट पर क्या कार्यवाही होगी ।

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