अभिषेक मिश्रा की कलम से – इंसानियत और मानवता से बड़ा कोई रिश्ता नही है..
लेखक अभिषेक मिश्रा मऊ जनपद के वरिष्ठ पत्रकार है जो विभिन्न समाचार पत्र पत्रिकाओं में अपनी सेवाये दे चुके है. वर्त्तमान में फ्रीलान्सर है.
बलिया जनपद के शिक्षाविभाग में हमें एक जरुरी कार्य से आना हुआ था,कार्य सम्पन्न करने के बाद वहां रहने वाले अजीज मित्र अखिलेश तिवारी जी के साथ उसी कार्य से ही एक प्रशानिक अधिकारी से मिलने जा रहे थे कि रास्ते के एक किनारे में साधन के अभाव में अपनी बीमार बच्ची,जो कि वही जमीन पर लेटी हुई दर्द से कराहते,चिल्लाते हुए लोट रही थी,देखने से वह बच्ची प्राथमिक विद्यालय की लग रही थी क्यो कि उसके शरीर पर ऐसा ही स्कूल ड्रेस था।वह दर्द से चीख- चिल्ला रही थी,जिसको लेकर वह असहाय बूढ़ा- बुजुर्ग खड़ा बेबस सा खड़ा था,
देखने से ही बुजुर्ग की आंखों में किसी मददगार की आशाएं दिख रही थी जिसको देखते ही देखते हमें समझने में देर नही लगी थी और हमने अपने वाहन को रोकने के लिए मित्र को कह दिये,और गाड़ी से उतरकर जाकर पितातुल्य बुढ़े ,बुजुर्ग से पूछा क्या बात है बाबू जी?इतना परेशान क्यो है?क्या हुआ है बच्ची को?इतने पर तपाक से दर्द से कराह रही जमीन पर लोटते हुए बच्ची ने कहां अंकल जी हमे बचा लीजिये,हम मर जायेंगे ,उसके आंखों में दर्द के आँशु और चीख-चिल्लाहट सुनकर मेरा भी कलेजा फटने लगा था,उसके बाद उसका बाबा ने दबी जुबान से अपनी थोड़ी सी स्थिति क्या बताया हमें आगे की सारी कहानी हमें खुद ब खुद ही बया हो गए थे,फिर क्या देखते ही देखते एक सवारी गाड़ी को हमने रोककर उसे रिजर्ब कर हमने उसे तुरंत बिना देर किए जिला अस्पताल बलिया के लिए रवाना कर दिए,और उस वाहन के पीछे हो लिए
थोड़ी ही देर में अब हम उस बीमार बच्ची और उसके बुजुर्ग बाबा को लेकर जिला अस्पताल बलिया पहुच गये,जहां आकस्मिक विभाग के चिकित्सकों द्वारा प्राथमिक उपचार कर,बाल रोग विभाग को स्थान्तरित कर दिया गया। नाम पता उक्त बच्ची का काजल गोंड पुत्री स्वामीनाथ गोंड बाबा का नाम सियाराम गोंड बताया गया।बाल रोग विभाग में बच्ची की स्थिति की गंभीरता को देखते हुए चिकित्सक डॉ. विनेश व डॉ.अनुराग सिंह से सम्पर्क किया गया तो आप लोगो द्वारा उक्त बच्ची काजल की स्थिति को काफी गंभीर बताया गया तुरंत ही उपचार शुरू करते हुए अविलम्ब बीएचयू पहुचने की बात कही गई।
उस गरीब परिवार व बुजुर्ग की माली हालात ठीक नही होने की वजह से तो उस पर दुखो का पहाड़ ही टूट पड़ा था,पर साथ वहां तो मेरा भी था. अब हम उस बच्ची को वाराणसी में एडमिट होने ले लिए उच्चाधिकारियों से वार्ता कर रेफरल लेटर व निःशुल्क एम्बुलेंस की व्यवस्था कर वाराणसी के लिए निःशुल्क एम्बुलेंस व रेफरल लेटर की व्यवस्था करते हुए अपने व अपने मित्र अखिलेश जी व अन्य सहयोगियो से कुछ थोड़ा बहुत आर्थिक मदद कर वाराणसी ले जाने का भी प्रबन्ध कर दिए ….बच्ची को हॉस्पिटल में लगभग 12 घण्टा साथ रहने पर बच्ची को राहत जरूर महसूस हो गई थी पर उसको अविलम्ब वाराणसी के लिए हम सारी तैयारी करते हुए हम माँ भगवती जी से यही प्रार्थना करते है कि आप उस बच्ची काजल की जिंदगी में आशीर्वाद की रौशनी दे दें माँ …काजल को उसकी जिंदगी वापस कर दे माँ…साथ ही आप सभी भाइयो,बहनों से निवेदन और आशा करते हैं कि आप भी इस बच्ची के लिये शीघ्र स्वाथ्य होने की मंगल कामना,प्रार्थना,दुआ करेंगे।जय माता दी।