प्रमोशन में आरक्षण के लिए प्रतिनिधित्व से जुड़े आंकड़े ज़रूरी नहीं – सुप्रीम कोर्ट
अंजनी राय
नई दिल्ली. SC/ST कर्मचारियों को सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आज(बुधवार को) बड़ा फैसला सुनाया है. पीठ ने 2006 के फैसले को बरकार रखते हुए कहा है कि एम नागराज के फैसले पर दोबारा विचार नहीं किया जा सकता. देश के प्रमुख न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि यह मामला 7 जजों की बेंच को नहीं भेजा जाएगा.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि 2006 में नागराज मामले में दिए गए उस फैसले को सात सदस्यों की पीठ के पास भेजने की जरूरत नहीं है, जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी) एवं अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए शर्तें तय की गई थीं। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की यह अर्जी भी खारिज कर दी कि एससी/एसटी को आरक्षण दिए जाने में उनकी कुल आबादी पर विचार किया जाए।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एससी/एसटी कर्मचारियों को नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारों को एससी/एसटी के पिछड़ेपन पर उनकी संख्या बताने वाला आंकड़ा इकट्ठा करने की कोई जरूरत नहीं है।