पितरो के लिए किये गये अच्छे कार्य से जीवन खुशहाल – प्रो विश्वम्भर नाथ मिश्र
विकास राय
वाराणसी स्थित प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर के महंत एवं काशी हिन्दू विश्व विद्यालय आई आई टी के बिभागाध्यक्ष प्रो विश्वम्भर नाथ मिश्र ने बताया की अपने पितरों के लिए किये गये अच्छे कार्य के फलस्वरूप हर किसी का जीवन सुखमय एवं खुशहाल हो जाता है।
प्रोफेसर विश्वम्भर मिश्र विख्यात पर्यायवरणविद् स्व वीरभद्र मिश्र के ज्येष्ठ सुपुत्र है।आपने कहा की पूज्य पिताजी बाबा के लिए और मै पिताजी के लिए श्राद्ध करता हूं। आपने अपनी सफलता का श्रेय भी अपने पूज्य पिता जी को दिया और बताया की आज मै जो कुछ भी हूं यह पूज्य पिताजी स्व बीरभद्र मिश्र जी के आशीर्वाद का फल है। उनके द्वारा बताये मार्ग ने मुझे सही मुकाम पर पहुंचाया है।संकटमोचन मंदिर के महंत श्री विश्वम्भर मिश्र ने विकास राय पत्रकार से पत्रकार वार्ता में बताया की संतान पिता की आत्मा है।शास्त्र के अनुसार पंचतत्व से निर्मित यह शरीर भगवान का दिया हुआ है। इस शरीर से सदैव सत्कर्म करें और फिर इसे आदर से वापस कर दिजिए।इसकी जिम्मेदारी अग्नि की है वह इसे पंचतत्व में विलीन कर देती है।
प्रो मिश्र ने कहा की कोइ भी शुभ कार्य शुरू किया जाता है तो पहला निमंत्रण सर्व प्रथम पितरों को दिया जाता है।पितरो को यदि उनके निमित्त जल या फिर कुछ नहीं मिलता है तो समझिये की आप उनके यहां से हटा दिये जायेंगे। आपने बताया की हम पितृ पक्ष में नियम पुर्वक अपने पितरों को तर्पण करते चले आ रहे है।हमारे पूज्य पिताजी स्व बीरभद्र मिश्र जी जब जीवित रहे तो हमारे पूज्य बाबा के निमित्त तर्पण एवं श्राद्ध करते थे।अब पिताजी के निधन के पश्चात हम उनके लिए श्राद्ध व तर्पण करते है।पितृ पक्ष में पितरों के लिए तर्पण एवं श्राद्ध नियमपूर्वक करते आ रहे है।महंत विश्वम्भर नाथ मिश्र ने साफ साफ शब्दों में कहा की हम पितृ पक्ष में नियम पुर्वक रहे व पितरों के लिए अच्छा से अच्छा कार्य करें तो हमारा पूरा जीवन सुखमय बन सकता है।पितर अगर आपका मन बदल देगें तो आपको सुख की अनुभूति होगी पूज्य पिताजी के बताये हुवे मार्ग पर चल कर ही सही मुकाम हासिल हुवा है .वह हमारे लिए प्रेरणास्रोत रहे है। जब तक वह रहे उनका आशिर्वाद हमें हमेशा मिलता रहा।उनके आशीर्वाद का फल मेरे ही उपर नही वल्कि पूरे परिवार पर भी है।