वैश्वीकरण के दौर में स्थानीयता का कोई जबाब नहीं – कथाकार शिवमूर्ति
हरिशंकर सोनी
सुलतानपुर। ‘ वैश्वीकरण के दौर में स्थानीयता का कोई जबाब नहीं है। साहित्य के क्षेत्र में वैश्वीकरण कभी हावी नहीं हो सकता यहां सदैव स्थानीयता ही हावी रहेगी। यह बातें चर्चित कथाकार शिवमूर्ति ने कहीं। शिवमूर्ति गुरुवार को क्षत्रिय भवन सभागार में राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा वैश्वीकरण के दौर में स्थानीयता विषयक विचार गोष्ठी को बतौर अध्यक्ष सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भोजन और बोली को कभी ग्लोबलाइज नहीं किया जा सकता इन दृष्टयों से देखें तो वैश्वीकरण एक अधूरी कल्पना है। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये वरिष्ठ कथाकार संजीव ने कहा – सुलतानपुर की धरती वैश्विकता से जुड़ी हुई है । यहां की धरती के कण कण में उपन्यास और कहानियां भरी पड़ी हैं। संजीव ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में भी भारतीय वांग्मय इतना ज्यादा समृद्ध है कि दुनिया के साहित्य उसके सामने नहीं टिकते।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कथाकार व तद्भव के सम्पादक अखिलेश ने कहा – सुलतानपुर की स्मृतियों में प्रख्यात लेखक बनाने की क्षमता है। वैश्वीकरण ने इन्हीं स्मृतियों को खत्म करने का काम किया है । अखिलेश ने कहा -कालीदास से लेकर रेणु तक की स्थानीयता ने उन्हें महान बनाया । अपनी स्थानीयता से विमुख होकर हम वैश्वीकरण में व्यापक नहीं हो सकते।
इससे पूर्व गोष्ठी की भूमिका रखते हुये युग तेवर के सम्पादक कमल नयन पाण्डेय ने कहा -भूमंडलीकरण के कारण दुनिया के देशों में लोकतांत्रिक ढांचा तो बचेगा लेकिन लोकतंत्र की अस्मिता खत्म हो जायेगी । उन्होंने कहा – वैश्वीकरण के कारण दुनिया के विभिन्न देशों में जनता के लिए वर्जना है लेकिन व्यापार के लिये नहीं ।
के.एन.आई .के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.राधेश्याम सिंह ने कहा – धन के साथ श्रम का जो सम्बंध है उसे वैश्वीकरण ने तोड़ा है। स्थानीय तत्वों को पुनर्जीवित करके हम वैश्वीकरण से लड़ सकते हैं। गोष्ठी का सफल संचालन राणा प्रताप पी.जी.कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष इन्द्रमणि कुमार ने किया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ.एम.पी.सिंह, डॉ.ओंकार नाथ द्विवेदी, डॉ.करुणेश भट्ट, राजेश सिंह व ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह ‘रवि’ समेत अनेक प्रमुख लोग मौजूद रहे।