जब हुआ जयंत के कौआ रुप द्वारा माता सीता के पैर में चोंच का प्रहार

प्रदीप दुबे विक्की

औराई भदोही

मंगलवार को श्री रामलीला कमेटी कैयरमऊ द्वारा सातवे दिन की रामलीला का मंचन किया गया जिसमें जयंत के कौवा रुप द्वारा माता सीता के पैर में चंचु प्रहार से मंचन का प्रारंभ हुआ, इंद्र, ब्राह्म जी, शंकर जी द्वारा शरण न मिलने के बाद देवर्षि नारद जी द्वारा राम के शरण मे ही वापस लौट क्षमा मांगने की शिक्षा के बाद एक श्री राम जी के शरण मे जयंत का आना और प्राणदान देते हुए सिर्फ किसी स्त्री से कोई बुरा बर्ताव न करे इसलिए समाज को शिक्षा देते हुए श्री राम जी द्वारा जयंत का सके आँख फोड़ने के बाद चित्रकूट से आगे के पंचवटी के लिए प्रस्थान,अत्रि मुनि,अनुसुइया माता से वार्ता, सुतीक्षण,सरभंग ,अगस्त ऋषि से मिलते हुए पंचवटी में पर्णकुटी निर्माण , सुपर्णखा आगमन और श्री राम पर मोहित हो विवाह का प्रस्ताव, श्री राम द्वारा सुपर्णखा को समझना,सुपर्णखा का सीता माता पर आक्रमण का प्रयास ,लक्ष्मण द्वारा सुपर्णखा का नाक काटना, खर दूषण त्रिसर वध, सुपर्णखा का रावण के दरबार मे आगमन अपनी कथा बताना, रावण का मारीच के यह प्रस्थान,मारीच का मायामृग बनना, सीता का अग्नि प्रवेश, सीता द्वारा मृग की छाल की मांग करने, लक्षमण द्वारा रेखा खीचना, साधु वेश में रावण का आगमन भिक्षा मांगने, सीता हरण,सीता द्वरा करुण विलाप जिसने दर्शको के कंठ को रुद्ध कर दिया, रावण जटायु युद्ध, सीता म को लंका के अशोक वाटिका में निश्चरियो के अनुरक्षण में रखना, राम जटायु मिलन, राम द्वरा जटायु का अंत्येष्टि, सबरी राम मिलाप तक कि राम लीला का मंचन किया गया। आप सभी दर्शको ने पूरे मनोयोग से दर्शन किया ।

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