डील आफ़ सेंचुरी पर जार्डन का पटलवार अम्मान को हाशिए पर डालना चाहते हैं अमरीका और इस्राईल क्या होगी आगे की तसवीर

आदिल अहमद

जार्डन नरेश अब्दुल्लाह द्वितीय ने दो दिन पहले अचानक घोषणा कर दी कि बाक़ूरा और अलग़ुमर नामक इलाक़ों को इस्राईल को लीज़ पर देने संबंधी समझौते की अवधि पूरी हो जाने के बाद अब इसकी समय सीमा में विस्तार नहीं किया जाएगा।

जार्डन के इस एलान से इस्राईल में खलबली मच गई और इस्राईली अधिकारियों ने धमकियां देना शुरू कर दिया। इस्राईल के कृषि मंत्री ओरी ओरईल ने कहा कि यदि जार्डन ने एसा किया तो जार्डन की राजधानी अम्मान को की जाने वाली पानी की सप्लाई रोक दी जाएगी।

जार्डन की सरकार ने फ़ैसला किया है उसे देश की जनता की ओर से भरपूर समर्थन मिल रहा है इसलिए कि जार्डन में आम जनता इस्राईल को अवैध शासन के रूप में ही देखती है। जार्डन सरकार के इस निर्णय में यह संदेश भी छिपा हुआ है कि वह अमरीका और इस्राईल के दबाव में आने के बजाए जनता की इच्छ का सम्मान करते हुए डील आफ़ सेंचुरी को नकार देना चाहती है। डील आफ़ सेंचुरी में यह बिंदु भी शामिल है कि जार्डन बैतुल मुक़द्दस के धार्मिक स्थलों की देखभाल का अपना अधिकार खो देगा।

जार्डन इस समय कठिन आर्थिक परिस्थितियों से गुज़र रहा है। सऊदी अरब और इमारात जैस देशों ने उसके ख़िलाफ़ दंडात्मक आर्थिक क़दम उठाए हैं इसीलिए सरकार ने सब्सिडी कम करने और टैक्स बढ़ाने जैसे क़दम उठाकर जनता से सहारा मांगा है। यह भी एक ज़मीनी सच्चाई है कि यदि सरकार ने जनता की मांगों का सम्मान किया तो जनता कभी भी सरकार को निराश नहीं करेगी।

हालिया दिनों में जिन लोगों ने जार्डन नरेश से मुलाक़ात की है उनका कहना है कि अब्दुल्लाह द्वितीय अमरीका तथा इस्राईल के दबाव और अरब देशों को कठोर रवैए से बहुत आक्रोश में हैं जबकि देश की आर्थिक समस्याओं ने उन्हें परेशान कर रखा है।

आने वाले सप्ताहों और महीनों में अमरीका और इस्राईल का दबाव जार्डन पर बढ़ेगा कि वह बाक़ूरा और गुमर के मामले में अपना फैसला वापस ले ले। इन हालात में सरकार को जनता के भारी समर्थन की ज़रूरत है। जार्डन आर्थिक रूप से हो सकता है कि कमज़ोर हो लेकिन उसकी  पोज़ीशन बहुत महत्वपूर्ण है। जार्डन की जनता ने हमेशा फ़िलिस्तीन के साथ रही है। हम आशा करते हैं कि अरबा घाटी के संबंध में इस्राईल के साथ जार्डन का जो ही समझौता है उसे पूरी तरह वह निरस्त कर देगा।

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