नोट की लगी चोट – बद से बदतर होते हालात
फारूख हुसैन।
लखीमपुर (खीरी)//प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक हजार और पाँच सौ के नोट बंदी की चलाई गयी योजना से काला धन रखने वालों की हालत तो खराब कर ही दी है परंतु इससे व्यापार पर भी बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा है ।परंतु इससे सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव किसानों पर पड़ा है। ऐसा लगता है की हर ओर से किसानों पर गाज गिरी है ।
नोटबंदी किसान के लिए एक आपदा जैसी है, नोटबंदी के कारण फसल बुवाई में बहुत फर्क पड़ेगा क्यों कि- इस बार अच्छी बरसात के कारण धान की फसल का उत्पादन बहुत ही बेहतर हुया है,परंतु इसके बावजूद धान की बिक्री का संकट बना हुआ है या उसका उचित रेट नहीं मिल पा रहा है।दूसरी बात बैंको से या कोआपरेटिव जैसे अन्य संस्थानो से भी जो मदद मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है।जब नकदी ही नहीं रहेगी तो जाहिर सी बात है, रबी की बुवाई भी अपेक्षाकृत प्रभावित होगी।दूसरी बात गावँ का किसान और बाजार अभी इतना बेहतर नहीं हो पाया है जो वह थोड़ा बहुत जमा पूंजी से कृषि संबधित उत्पाद ले सके क्योंकि इस तरह नोटबंदी के आपदा ने हमारे किसानों को दोहरे सांसत में डाल दिया है।