सुशासन बाबु के राज में महिला कांस्टेबल की मौत के बाद पटना पुलिस का विद्रोह:
अनिल कुमार
पटना. राजधानी पटना के सड़कों पर शुक्रवार को पटना पुलिस का नंगा नाच देखा गया। पुलिस वर्दी में पुलिसकर्मियों का हरकत सड़क छाप गुंडों से भी गिरी हुई थी। हालात को सामान्य बनाने के लिए पटना पुलिस लाइन पहुंचे पटना के एसएसपी मनु महाराज भी पुलिस लाइन में घुसने का हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।
सीवान जिले की रहने वाली महिला कांस्टेबल सविता पाठक पिछले दस-बारह दिन पहले पटना के कारगिल चौक पर ड्यूटी करती थी। उसकी तबीयत खराब होने पर जब छुट्टी लेने यातायात थाना गई तो उसे वहां सीएल नहीं मिला और महज तीन दिनों का ही सिक लीव मिला। महिला कांस्टेबल काफी दिनों से बीमार थी और छुट्टी नहीं मिल पाने के कारण परेशान थी और शुक्रवार को पटना के एक निजी अस्पताल में डेंगू के कारण सुबह में मौत हो गयी।
मौत के खबर मिलते ही करीब 300 से 400 की संख्या में पुलिसकर्मियों ने पुलिस लाइन में सार्जेंट मेजर सह डीएसपी मो. मसलाउद्दीन के आवास को घेर लिया और डीएसपी को दौड़ा दौड़ा कर पीटा, साथ ही साथ सिटी एसपी और ग्रामीण एसपी को भी इन लोगों ने पीट दिया। पुलिसकर्मियों के गुंडागर्दी का शिकार मीडियाकर्मियों को भी होना पड़ा। कई मीडियाकर्मियों को पीटा भी गया और कैमरे भी तोड़ दिए गए। इन वर्दीधारी गुंडे ने आम जनता को भी नहीं बख्शा और उनके साथ भी मारपीट की।
हालात पर काबू पाने के लिए पटना एसएसपी मनु महाराज भी काफी मशक्कत कर रहे हैं, पर पुलिस लाइन में घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। पुलिसकर्मियों पर नकेल कसने के लिए बिहार सैन्य पुलिस (बीएमपी) के जवानों को तैनात किया गया है। शुक्रवार को पुलिसकर्मियों द्वारा किया गया गुंडागर्दी की घटना पूरे देश के पुलिस के लिए एक गलत संदेश गया है। इस मामले की भनक मिलते ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संज्ञान लेते हुए, इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी बिहार के डीजीपी के.एस.द्विवेदी से मांगी है।
पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए गुंडागर्दी के मामले की जांच के संबंध में एडीजी एस.के.सिंघल ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच पटना के जोनल आईजी नैयर हसनैन खां करेंगे। पटना में पुलिसकर्मियों के इस विद्रोह से यह बात सामने जरूर आया है कि जिस कड़े कदम और फैसले के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुशासन बाबू के रूप में जाने जाते थे, अब वह बात उनमें नहीं रही। अगर पुलिसकर्मियों के इस विरोध पर अगर कोई कड़ी से कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले समय में इन लोगों के उत्साह में वृद्धि होगी।
इस कारण बिहार पुलिस के आला अधिकारियों को इन पुलिसकर्मियों पर कड़े से कड़े एक्शन लेना चाहिए, जिससे भविष्य में इन लोगों को फिर गुंडागर्दी करने की हिम्मत नहीं हो और आम जनता के बीच सही संदेश जाए।