खुले आम उडाई जाती है पारदर्शिता व नियम कानूनो की धज्जियां।

फारुख हुसैन,

लखीमपुर खीरी 
सरकारी धान खरीद के लिये नियमत: राइस मिले पूर्णतया प्रतिवन्धित होने के बावजूद प्रतिदिन सुबह से ले कर देर रात तक मजबूर किसानो की धान से लदी ट्रेक्टर  ट्रालियो को विचौलियो द्वारा मिल के गेट पर खरीद कर सीधे ही मिल को सप्लाई करते देखना आम बात है जबकि नियमत: धान की खरीद राज्य एवं केन्द्र के द्वारा अधिकृत खरीद एजेन्सियो या पंजीकृत आढतियो द्वारा किसान मंडी परिसर मे आवंटित गद्दियो दुकानो पर ही  समर्थन मूल्य पर खरीद कर के हैन्डलिंग ठेकेदारो द्वारा सरकारी आदेशो के तहत आवंटित राइस मिलो को सप्लायी किये जाने का प्रावधान होने व विक्री किये गये धान का मूल्य (समर्थन मूल्य) सीधे किसान के खातो मे पूरा का पूरा डाल दिये जाने के प्रवधानो  के बावजूद बास्तविक किसान को औनेपौने नकद राशि दे कर टरकाने के बाद खरीद माफिया द्वारा अपने गुर्गो की जोतवहियां जिनमे ज्यादातर के खेतो मे धान या गेहूं बोने के स्थान पर गन्ना लहरा रहा होता है मे फर्जी तौर पर कूट रचित  राजस्व अभिलेखो जोतवहियों  के आधार पर धान की फसल  दर्ज करा कर पूरा समर्थन मूल्य का चेक काट कर देने के बाद एक  दो परसेन्ट कमीशन दे कर पूरी रकम निकाल कर बांट ली जाती है। जब कि बास्तविक किसान  हाथो मे पहुंचते पहुंचते तीस से चालीस प्रतिशत विक्री की रकम सफेदपोश लुटेरो द्वारा खुलेआम सिस्टम की जरूरत बताकर लूट ली जाती है 
ऐसा नहीं कि इस आर्थिक अपराध की जानकारी राज्य या केन्द्र सरकार को नहीं है बल्कि सच्चायी यह है कि कांग्रेस की सरकारो के समय से विकसित इस किसान लूट सिस्टम को कांग्रेस के बाद आयी सरकारो चाहे वसपा की रही हो या  भाजपा या वर्तमान किसान पुत्र की सरकार ,किसानो की बदहाली मिटाने भृष्टाचार मिटाने के मनमोहक बादो के साथ किसानो के वोटो की वदौलत सत्तानशीन होने वाली तथा कथित किसान पुत्र की सरकारो ने भी बदस्तूर न केवल भृष्ट सिस्टम को जारी रखा है वल्कि इस भृष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाली हर आबाज को दबाने मे पूरी सरकारी मशीनरी का सदुपयोग तक करने से से नहीं चूकते हमारे किसानो के बोटो के वदौलत चुने गये जनप्रतिनिधि भी इस सिस्टम का लाभ उठाने के लिये अपने करीवियो भाई भतीजो को अघोषित रूप से सिस्टम मे घुसा कर किसान लूट सिस्टम का भरपूर लाभ उठाते हुये अब पुन: चुनावो के लिये वदहाल किसान के दरवाजे डुगडुगी वजा कर सुनहरे सपने का जादू दिखाने की तैयारी मे लग गये हैं पर किसान के हालातो पर ध्यान देने वाला कोई नेता MP या MLA या कोई अधिकारी है ऐसा प्रतीत नहीं होता 
अब किसान हितार्थ जगह जगह बनायी गई किसान मंडी समितियो का हाल भी जान लें 
किसान मंडी समितियां जिनके संचालन रखरखाव. मे किसानो से ही लिया गया धन प्रयोग किया जाता है और हमेशा दर्शाया जाता है कि यह किसान के हितार्थ काम करती है पर होता है ठीक उल्टा यहां पर खुले आम दो प्रतिशत मंडी टैक्स के स्थान पर एक प्रतिशत नगद कमीशन दे कर व्यापारी आराम से ट्रको मे सब्जी फलो से लदे ट्रक के ट्रक लाते ले जाते रहते हैं मंडी कर्मचारी चांदी काटते रहते हैं 
गोला मंडी समिति के सचिव से जब मंडी की आवक जावक रजिष्टर के संबन्ध मे जो कि गेट पर ही होना चाहिये के बारे मे जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो बौखलाहट मे उनका जबाब था कि ट्रक नही आते सिर्फ पिकप अंदर आती है जब कि सब्जी मंडी के आढतियो ने बताया कि पंद्रह पंद्रह ट्रक सब्जी प्याज के यहां पर खप जाते हैं वृहस्पतिबार को भी दो ट्क व कई पिकप वहां पर अंदर खडी थीं पर गेट पर वने कार्यालय के कर्मचारी ने आवक जावक रजिष्टर मे ट्रकों के आने जाने का व्योरा दर्ज होने के स्थान पर संजीवगिरि से पूंछने का सुझाव दिया 
जब कि ट्रको के आने जाने का व्योरा नियमत: तत्काल गेट पर दर्ज होना चाहिये पर यदि ट्रक या बाहन मंडी मे आने का व्योरा गेट पर तत्काल दर्ज हो जायेगा तो फिर बापसी मे गेट पास भी वनाना होगा तो फिर लदा माल और वजन भी लिखना होगा तब तो भाई मंडी टैक्स भी जरूर देना पडेगा जो कि सरकारी खजाने मे जायेगा 
आवक रजिष्टर. मे दर्ज नहीं करने से मंडी टैक्स जेब मे जाता है इस तरह सरकारी रादस्व के लाखो रुपये हडप लिये जाते हैं वहीं दूसरी तरफ किसानो के धान गेहूं की खरीद मंडी परिसर मे न करके सीधे फडियों या राइस मिलो मे करायी जाती है परन्तु मंडी कर्मचारियो की मिली भगत से वाहनो के फर्जी गेटपास वना कर मंडी मे विभिन्न सरकारी खरीद ऐजेन्सियों के फ्रेन्चाइजी लिये बैठे ठेकेदार मंडी परिसर मे खलीद दिखा कर पल्लेदारी व ट्रांसपोर्ट की रकम जो कि सरकार देती है का फर्जीवाडा कर राज्यसरकार के धन को हडपते रहते हैं यदि किसी निष्पक्ष जांच एजेन्सी से जांच करायी जाये तो लाखो नहीं करोडो रुपयो का फर्जीबाडा सामने आ सकता है।

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