राफेल सौदा बिलकुल साफसुथरा और 9% सस्ता है – दसाल्ट के सीईओ एरेकि ट्रैपियर
अनीला आज़मी
नई दिल्ली: इसकी पैच मैनेजमेंट कहे या फिर सच बाते समझ में थोडा परे हो सकती है। राफेल सौदे को लेकर भारत में मचे राजनितिक घमासान के बाद आज आखिर राफेल बनाने वाली कंपनी के सीईओ ने अपना बयान जारी करते हुवे कहा है कि मैं झूठ कभी नही बोलता हु, राफेल 9% सस्ता और साफ़सुथरा सौदा है। उन्होंने कहा है कि 36 विमानों की कीमत बिल्कुल उतनी ही है, जितनी 18 तैयार विमानों की तय की गई थी। 36 दरअसल 18 का दोगुना होता है, सो, जहां तक मेरी बात है, कीमत भी दोगुनी होनी चाहिए थी। लेकिन चूंकि यह सरकार से सरकार के बीच की बातचीत थी, इसलिए कीमतें उन्होंने तय कीं, और मुझे भी कीमत को नौ फीसदी कम करना पड़ा।
वहीं रिलायंस और मुकेश को लेकर लगे आरोपों पर उन्होंने कहा, ‘अम्बानी को हमने खुद चुना था। हमारे पास रिलायंस के अलावा भी 30 पार्टनर पहले से हैं। भारतीय वायुसेना सौदे का समर्थन कर रही है, क्योंकि उन्हें अपनी रक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाए रखने के लिए लड़ाकू विमानों की ज़रूरत है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया में दसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा, ‘मैं झूठ नहीं बोलता। जो सच मैंने पहले कहा था, और जो बयान मैंने दिए, वे सच हैं। मेरी छवि झूठ बोलने वाले की नहीं है। सीईओ के तौर पर मेरी स्थिति में रहकर आप झूठ नहीं बोलते हैं’। उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए जो अहम है, वह सच है, और सच यह है कि यह बिल्कुल साफ-सुथरा सौदा है, और भारतीय वायुसेना इस सौदे से खुश है।
बताते चले कि दसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने यह इंटरव्यू समाचार एजेंसी एएनआई के दिया है। एरिक ट्रैपियर ने कहा कि एक आपूर्तिकर्ता के तौर पर वह इस डील को पुख्ता करने की कोशिश कर रहे थे। यह 126 विमानों का सौदा था लेकिन इसमें देरी हो रही थी। भारत की मौजूदा जरूरतों को देखते हुए यहां की सरकार ने 36 राफेल विमानों को तुरंत देने के लिए कहा जिस पर साल 2015 में फिर सौदा तय हुआ और पुरानी डील में दोबारा बदलाव करना पड़ा।