जहां मिली थी सहारा देने वाली बेटी , वहीं हुई पालने वाले की मौत

आफ़ताब फ़ारूक़ी

प्रयागराज। एक फिल्म का गाना ( किस्मत का खेल निराले मेरे भइया } , उस समय पूरी तरह से चरितार्थ हुआ जब करीब 18 साल पहले जिस स्थान से एक 6 माह की बेटी मिली थी और मासूम मां की वहीं पर ट्रेन हादसे में मौत हो चुकी थी, गांव वालों के कहने पर मजदूर लाल चंद्र विंद को यहां से बेटी के रूप में जीने का मकसद मिला। लेकिन विधाता के लिखे को आखिर कौन टाल सकता है, जहां उसे जीने का मकसद मिला था ठीक उसी स्थान पर मंगलवार की रात ट्रेन की चपेट में आने से लालचंद्र की भी मौत हो गई। मजदूर की मौत के बाद उसकी बेटी का रो रो कर बुरा हाल था। क्योकि उसकी मां उसे इसी स्थान पर 18 साल पहले छोडकर चली गई थी। गांव में इस हादसे के बाद मातम का महौल है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

जानकारी के अनुसार जिले के मांडा थाना क्षेत्र के श्रवणपुर बामपुर निवासी 57 वर्षीय लालचंद्र विंद पुत्र गोपाल विंद की पत्नी की मौत बहुत पहले हो चुकी थी। लालचंद्र के कोई भी औलाद नहीं थी। पत्नी की मौत के बाद वह पूरी तरह से अकेला और टूट चुका था। पत्नी की मौत का गम इस कदर था कि वह काम धाम भी न के बराबर ही किया करता था और घर में ही अधिकांश समय रहा करता था। 8 जनवरी 2001 को बामपुर के पास रेलवे लाइन पर एक महिला की ट्रेन हादसे में मौत हो गई। उसकी 6 माह की बच्ची वहीं रो रही थी। हादसे की खबर पर पहुंच गांव वालों ने पुलिस को बताया तो पुलिस ने शिनाख्त कराने की कोशिश की बाद में अज्ञात में ही पोस्टमार्टम हुआ।
इधर गांव वालों के कहने पर 6 माह की अबोध बेटी को लालचंद्र को सौप दिया गया। 6 माह की बेटी मिलने के बाद लाल चंद्र ने बडे ही प्यार से उसका नाम सोनी रखा। सोनी के आ जाने के बाद वह फिर से अपने काम धाम में जुट गया। उसका मकसद था कि वह अपनी बेटी को पढ़ाकर धूमधाम से उसके हाथ पीले करेगा। समय बीता और सोनी की शादी की चिंता जब उसे सताने लगी तो वह उसके लिए धन आदि का संग्रह शुरू कर दिया। लेकिन उसे क्या पता था कि उसके भाग्य मे बेटी का हाथ पीला करना नहीं लिखा है। मंगलवार की रात वह किसी काम से गया था और उसी स्थान पर जहां उसे बेटी मिली थी ट्रेन की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई। सुबह जब गांव के लोग खेतों की ओ निकले तो उसकी लाश रेलवे लाइन पर देखी। लालचंद्र की मौत की खबर जंगल की आग की तरह से फैली तो उसकी बेटी सोनी रोते हुए पहुंची। जहां उसका रोना देखकर सबकी आंखे नम हो गईं थी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में कर अन्त्य परीक्षण के लिए भेज दिया। दूसरी ओर लालचंद्र की मौत के बाद पूरे गाव मे मातम का महौल है।

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