ईरान के साथ सहयोग जारी रखने पर योरोपीय संघ और तुर्की का बल
आफ़ताब फ़ारूक़ी
ईरान के साथ सहयोग जारी रखने पर योरोपीय संघ और तुर्की ने बल दिया है।
अमरीकी राष्ट्रपति के ईरान और गुट पांच धन एक के साथ हुए परमाणु समझौते से अपने देश को बाहर निकालने और ईरान के ख़िलाफ़ दुबारा पाबंदी लगाने के क़दम का परमाणु समझौते के बाक़ी सदस्यों ने कड़ाई से विरोध किया है। इस बीच तुर्की ने भी जो ईरान का अहम पड़ोसी देश और ईरान से उसके अच्छे संबंध हैं, ईरान के ख़िलाफ़ वॉशिंग्टन की पाबंदियों का कड़ाई से विरोध किया है। इस परिप्रेक्ष्य में योरोपीय संघ और तुर्की के अधिकारियों ने अंकारा में अपनी बैठक के बाद संयुक्त बयान में परमाणु समझौते जेसीपीओए के तहत ईरान के साथ सहयोग जारी रखने पर बल दिया। योरोपीय संघ के योरोपियन नेबरहुड ऐन्ड इनलार्जमंट निगोसिएशन्ज़ कमीशन के प्रमुख योहानेस हान और इस संघ की विदेश नीति प्रभारी फ़ेड्रीका मोग्रीनी ने अंकारा में तुर्क अधिकारियों के साथ मुलाक़ात के बाद संयुक्त बयान में कहा कि ईरान को जेसीपीओए के लागू होने और पाबंदियों के हटने के बाद आर्थिक फ़ायदा मिलना चाहिए।
ईरान ने जेसीपीओए से अमरीका के निकलने बाद इस समझौते के योरोपीय पक्षों को यह अवसर दिया है कि वे इस समझौते को बाक़ी रखने के लिए ज़रूरी तंत्र क़ायम करें। इस बीच योरोपीय संघ और जेसीपीओए के 3 योरोपीय पक्ष फ़्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने ईरान के परमाणु समझौते के पालन करने की अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी द्वारा 14 रिपोर्टों में पुष्टि के आधार पर, अमरीका के उस दावे को मानने से इंकार किया है जिसमें अमरीका ने ईरान पर परमाणु समझौते के उल्लंघन का इल्ज़ाम लगाया है।
योरोपीय संघ की न्याय आयुक्त वेरा योरोवा ने कहा है कि इस संघ का मानना है कि कोई भी शांतिपूर्ण व प्रतिष्ठित समझौता जेसीपीओए की जगह नहीं ले सकता। इसलिए वॉशिंग्टन की ओर से जारी मनोवैज्ञानिक युद्ध व धमकियों के बावजूद ब्रसल्ज़ ने जेसीपीओए की रक्षा के लिए अपनी ओर से कोशिश जारी रखने पर बल दिया है।
उधर तुर्क राष्ट्रपति रजब तय्यब अर्दोग़ान ने भी साफ़ तौर पर कहा है कि वह ईरान के ख़िलाफ़ अमरीकी पाबंदियों का अनुसरण नहीं करेंगे। यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि नेटो में अमरीका के घटक के रूप में तुर्की भी ईरान के संबंध में वॉशिंग्टन के दृष्टिकोण को अस्वीकार्य मानता है।
अमरीका ईरान के ख़िलाफ़ धौंस व धमकी के ज़रिए अपनी इच्छा थोपने में अधिक सफल नहीं रहा है। यह ऐसा रवैया है जो विश्व स्तर पर अमरीका के और अधिक अलग थलग पड़ने का कारण बना है।